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रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बढ़ रही है दुर्लभ वन्यजीवों की संख्या

जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की संख्या व लुप्तप्राय प्रजातियों की उपस्थिति बनी हुई है।

बूंदीJan 13, 2025 / 07:12 pm

पंकज जोशी

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बढ़ रही है दुर्लभ वन्यजीवों की संख्या

गुढ़ानाथावतान. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लगाए गए फोटो ट्रेप कैमरे में दिखी एशियाई जंगली बिल्ली।

गुढ़ानाथावतान. जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की संख्या व लुप्तप्राय प्रजातियों की उपस्थिति बनी हुई है। हाल ही में टाइगर रिजर्व में दुर्लभ प्रजाति की सियागोश बिल्ली मिलने के बाद अब यहां एशियाई वाइल्ड केट नजर आई है। इसे भारतीय रेगिस्तानी बिल्ली, एशियाई जंगली बिल्ली या एशियाई मैदानी जंगली बिल्ली भी कहा जाता है। यह घरेलू बिल्ली के आकार की तरह होती है।
यह दक्षिण-पश्चिमी और मध्य एशिया, पाकिस्तान, भारत, मंगोलिया और चीन में व्यापक रूप से पाई जाती है। भारत में यह मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। राजस्थान में यह आमतौर पर यह वन बिलाव अब तक पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र व डेजर्ट नेशनल पार्क में देखा गया है। रेगिस्तान में इसकी मौजूदगी के कारण ही इसे डेजर्ट केट के नाम से भी जाना जाता है। बूंदी के जंगलों में इसका मिलना एक सुखद एवं रोमांचक अनुभव है। रामगढ़ टाइगर रिजर्व बनने के साथ ही यहां पर लगातार बड़ी व छोटी बिल्लियों की संख्या बढ़ रही है, जो इस टाइगर रिजर्व के लिए अच्छा संकेत है।
कई दिनों तक बिना पानी के रह सकती है
भारतीय रेगिस्तानी वन बिलाव बिल्ली जैसा ही दिखता है। इसके अगले और पिछले पैरों के ऊपरी हिस्से पर गहरे रंग की धारियां होती हैं। शरीर पर गहरे काले धब्बे और एक काले गुच्छे के साथ पतली पूंछ होती है। यह वन बिलाव शुष्क आवासों में रहता हैं और लंबे समय तक पानी के बिना जीवित रह सकता है। इस बिल्ली की संख्या लगातार कम होती जा रही है और इसे भारतीय वन्यजीव संरक्षण कानून की अनुसूची प्रथम में शामिल किया गया है।
इसे मरुस्थलीय क्षेत्रों में छोटी शेरनी या रोही बिल्ली भी कहते है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार पर्यावरण संरक्षण में डेजर्ट केट की भूमिका महत्वपूर्ण है यह चूहों और कई तरह जीवों की संया को नियंत्रण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में वहां ईकोलोजी सिस्टम भी बेहतर रहता है। वन क्षेत्रों में विकास और बढ़ते जैविक दबाव के कारण जंगली बिल्लियों की संया कम हो रही है। इसके अलावा इनकी आकर्षक खाल के कारण यह शिकारियों की नजरों में रहती है।
बिल्ली परिवार की आधा दर्जन प्रजातियां
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में एशियाई वन बिलाव, सियागोश व रस्टी स्पॉटेड कैट जैसी दुनिया की दुर्लभ जंगली बिल्लियां मौजूद है। इसके अलावा सामान्य वन बिलाव भी बड़ी संख्या में बूंदी के जंगलों में पाए गए हैं। रामगढ़ के जंगल बाघ व बघेरों जैसी बड़ी बिल्लियों के लिए सदियों से प्रसिद्ध रहे है। अब यहां दुर्लभ प्रजाति की छोटी बिल्लियां भी फोटो ट्रेप कैमरों में कैद हुई है, जिससे यहां के जंगलों की समृद्ध जैवविविधता की झलक मिलती है।
इनका कहना है
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में लगाए गए फोटो ट्रेप कैमरों में एशियाई वाइल्ड केट की फोटो अलग-अलग जगहों से कैप्चर हुई है। अभी तक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कैट फैमेली की आधा दर्जन प्रजातियां दर्ज की गई है।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व बूंदी

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