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बिलासपुर

CG High Court: बढ़ते सड़क हादसों पर हाईकोर्ट सख्त, कहा – रोड सेफ्टी कमेटी व आरटीओ क्या कर रहे ?

CG High Court: प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर मंगलवार को राज्य शासन, नेशनल हाईवे ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत किया। हादसों के लिए मवेशियों, खड़े वाहनों को जिम्मेदार बताते हुए इनको हटाने के लिए कार्रवाई की जानकारी दी।

बिलासपुरJun 26, 2024 / 11:05 am

Khyati Parihar

CG High Court
CG High Court: प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर मंगलवार को राज्य शासन, नेशनल हाईवे ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत किया। हादसों के लिए मवेशियों, खड़े वाहनों को जिम्मेदार बताते हुए इनको हटाने के लिए कार्रवाई की जानकारी दी।
इसके लिए बैठक और सतर्कता उपाय करने की जानकारी दी गई। परिवहन विभाग को भी जवाब देने के निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 30 जुलाई को तय की है। बढ़ते हादसों और इस पर रोक न लगा पाने पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसके लिए हर संभव उपाय करने के निर्देश दिए।
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कोर्ट ने मीटिंग लेने के साथ ही हादसे रोकने के लिए फील्ड पर काम करने के भी निर्देश दिए। बता दें कि कवर्धा हादसे पर स्वतः संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की है। 24 मई को सुनवाई के दौरान राज्य में दुर्घटनाओं पर रोक न लगने पर चिंता जाहिर की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और नेशनल हाईवे अथॉरिटी से पूछा कि सड़क हादसे रोकने के लिए उपाय क्यों नहीं किए जा रहे? सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कितना अमल हुआ, इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा था।

छत्तीसगढ़ में 2018 से 2022 तक सड़क दुर्घटनाएं

यह 2018 से 2022 तक छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं के रुझान को दर्शाने वाला एक चार्ट है। डेटा में प्रत्येक वर्ष की कुल दुर्घटनाएँ, घातक दुर्घटनाएँ और गैर-घातक दुर्घटनाएँ शामिल हैं।
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CG High Court: धरातल पर काम करें एजेंसियां

डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदेश में दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। पहले भी हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं पर निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी दुर्घटनाएं रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की है। राज्य में इसका कितना पालन नहीं हो रहा है। हर बार एक शपथ पत्र दे दिया जाता है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता।

CG High Court: रोड सेफ्टी कमेटी, आरटीओ क्या कर रहे ?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता से पूछा था कि क्या प्रदेश में रोड सेफ्टी कमेटी है। अगर है तो क्या कर रही है। प्रदेश सरकार ने दुर्घटनाएं रोकने के लिए अब तक कितने निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करने के लिए क्या किया है अब तक? कोर्ट ने राजमार्ग पर स्पीड पर कंट्रोल के लिए एनसीआर में ऑटोमैटिक सिस्टम का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां क्यों नहीं हो सकता? वाहनों के फिटनेस पर भी सवाल उठाते हुए कोर्ट ने 15 साल पुराने वाहनों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते सवाल किया कि क्या यहां ऐसी कोई जांच और प्रक्रिया की जाए।

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