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कार्यालय में सक्रिय दलालों द्वारा बैखौफ होकर अधिकारियों के नाम से रिश्वत मांगी जा रही है। यह खुलासा एक्सपोज द्वारा आरटीओ कार्यालय में स्टिंग कर किया। एक्सपोज टीम द्वारा जब कार्यालय में वाहनों की फिटनेस बनवाए जाने के संबंध में पड़ताल की गई तो पता चला कि कार्यालय का नारायण नाम का बाबू वाहनों को कैमरे के सामने एक-एक कर लगवा रहा था, जिनके दस्तावेज भी उसी के पास थे, लेकिन कैमरे के सामने जो वाहन लगाए जा रहे थे, उनमें से किसी भी वाहन की जांच नहीं की जा रही थी।
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कई वाहन तो काफी जर्जर अवस्था में बने हुए थे, लेकिन विभाग की ओर से ऑपचारिकता पूरी कर इन वाहनों की फिटनेस बनाए जाने का काम किया जा रहा था। जब इस मामले में गहराई से पड़ताल की गई तो पता चला कि कैमरे के सामने जिन वाहनों को फिटनेस की पात्रता के लिए लगवाया जा रहा है वह वाहन दलालों के जरिए से ही लगाए गए हैं।जिम ट्रेनर और प्लाटून कंमाडर के बेटे का था ऐसा जलवा,आरटीओ के अधिकारी भी करते थे सैल्यूट
कार्यालय में सक्रिय दलालों द्वारा पहले ही वाहनों को दस्तावेज बाबू को दे दिए गए थे, इसके पश्चात बारी-बारी से दलाल अपने वाहनों को लगवाते गए और उनके वाहनों की फिटनेस को पास कर दिया जा रहा था। अहम बात तो यह है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आरटीओ स्वयं ही ऑफिस में मौजूद नहीं मिलते है, ऐसे मेें ऑफिस का काम दलालों के जरिए चल रहा है।
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यह है विभाग की प्रक्रिया
वाहनों की फिटनेस बनवाए जाने के लिए सबसे पहले वाहनों में स्पीड गर्वनर लगा होना चाहिए, साथ ही वाहन का कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए और रेडियम के अलावा अन्य सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद वाहन को कार्यालय में लाकर फोटो खिचवाना पड़ता है, जिसकी जांच इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है, ऐसे में वाहन में थोड़ी सी भी खराबी होने या दस्तावेज पूर्ण नहीं होने पर जांच अधिकारी द्वारा फिटनेस नहीं बनाई जाती है।
शहर में करीब दो सौ एेसी बसें है जो कि दूसरे प्रांतों से खरीदकर लायी गई है। तकनीकी फिटनेस की बात करें तो इन बसों में आए दिन टूटफूट होती है। ज्यादा दूरी तक न दौड़ सकने से इन बसों को ऑपरेटर सस्ते दामों में बेंचे देते हैं। कार्यालय में इन दिनों कागजी कार्रवाई तक ही फिटनेस डिपार्टमेंट सिमटा है।
सवारी वाहनों के अलावा अन्य लोडिंग वाहनों को जांचने और उनकी फिटनेस दुरूस्त कराए जाने को लेकर क्षेत्रीय परिवहन निरीक्षक (आरटीआई) रूप शर्मा को तैनात किया गया है। आरटीआई शर्मा फिटनेस कार्यालय पर नहीं बैठते हैं। इस वजह से बूढ़े वाहनों की फिटेनस सार्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। एेसे ही उम्र दराज वाहन दौड़ते समय फिटनेस की नजर से फे ल होते और लोगों को हादसे का शिकार होना पड़ता है।
रिपोर्टर- गाड़ी की फिटनेस बनवानी है, बन जाएगी क्या?
दलाल- हां बन जाएगी, गाड़ी कौन सी है, वो यहां पर लानी होगी। रिपोर्टर- क्या करना पड़ेगा?
दलाल- सबसे पहले स्पीड गर्वनर लगवाना होगा उसके बाद पैनल्टी फीस जमा करानी होगी, जिसमें हमारी और अंदर बैठे बाबूओं की सेवा का पैसा भी देना होगा।
दलाल- अरे आरटीओ खुद थोड़ी न पैसे लेगा, इसके लिए ही तो एजेंट और हम जैसे दलाल लगे हुए हैं, हम लोग ही पैसा अधिकारियो के पास पहुंचाने के बाद फिटनेस बनवाते है।
दलाल- नहीं स्पीड गर्वनर तो लगवाना ही पड़ेगा, यह तो कंपलसरी कर दिया गया है। अगर आप सीधे फिटनेस बनवाओगे तो अधिकारी कई प्रकार की खामियां निकाल देगा और फिटनेस के लिए कई दिनों तक परेशान होते रहोगे।
सवाल- सभी वाहनों मे स्पीड गर्वनर लगाना क्या अनिवार्य है?
जवाब- हां सभी वाहनों में स्पीड गर्वनर लगवाना अनिवार्य कर दिया है। सवाल- कार्यालय में दलाल सक्रिय बने हुए है, जिनके द्वारा आपके नाम से पैसे लिए जाते है?
जवाब- यह बात सही है कि कार्यालय के बाहर कुछ दलाल बैठे रहते है, जिन्हें कई बार भगाया गया है, लेकिन वह मेरे नाम से पैसे ले रहे हैं तो यह गलत है। इसकी जानकारी लेकर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जवाब- ऐसा नहीं हो सकता है, वाहनों की जांच के लिए इंस्पेक्टर नियुक्त है, फिर भी अगर ऐसा किया जा रहा है तो शीघ्र ही जांच कराई जाएगी और नियमानुसार ही वाहनों की फिटनेस बनाई जाएगी।