यह निर्णय देर शाम को पार्षद राजू चलाना के कार्यालय पर हुई बैठक में लिया गया। पार्षदों ने कहा कि यह कदम जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया है। उन्होंने कहा कि जिले के मुद्दे पर जनता की भावनाएं सरकार के विरोध में हैं। इस विरोध को और ताकत देने के लिए व जनता के हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
जनता की भावना को देखते हुए फैसला
उन्होंने कहा कि जिस जनता ने उन्हें चुन कर उन्हें पालिका भी भेजा। उस जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार के खिलाफ यह आवाज बुलंद की है। उन्होंने कहा कि जल्द ही कुछ अन्य पार्षद भी इस सरकार के निर्णय के खिलाफ समर्थन देंगे। बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा
उनका कहना है कि यदि
राजस्थान सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया, तो सामूहिक रूप से इस्तीफे की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।पार्षदों का कहना है कि जिले को बहाल करने के लिए वह हर संभव कदम उठाएंगे। इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच भी रोष का माहौल है और जल्द ही जो प्रदर्शन चल रहा है उसको और बड़ा किया जाएगा।
गौरतलब है कि विरोध को और अधिक संगठित करने के लिए सभी पार्षद एक बैठक आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। उनका उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाकर इस निर्णय को पलटवाना है। जिला निरस्तीकरण से जुड़ा यह मुद्दा अब अनूपगढ़ नगरपरिषद के लिए गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।