सरकारी तंत्र में कमियों का आलम यह है कि इलाके को खेल सुविधाएं दी भी हैं, लेकिन टुकड़ों में। पिछले दिनों विश्वकप कबड्डी और इनडोर खेल आयोजनों से प्रेरित होकर राज्य सरकार ने जिला मुख्यालय को इनडोर कबड्डी के मैट तो उपलब्ध करवा दिए, लेकिन इसके लिए उपयुक्त इनडोर स्टेडियम नहीं होने से ये बेकार पड़े हैं। इन मैट पर लाखों रुपए की लागत आई, लेकिन कबड्डी अब भी खिलाड़ी खुले में ही खेल रहे हैं। ऐसे में लाखों रुपए खर्च कर मंगवाए गए ये मैट उपयोग में नहीं आ रहे।
नहीं मिल रहा ठोस समतल मैदान
इनडोर कबड्डी के मैट के लिए ठोस धरातल वाला समतल मैदान चाहिए। जिला मुख्यालय पर जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र में मल्टीपर्पज स्टेडियम बना हुआ है, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व इस स्टेडियम में सरसों का भंडारण किए जाने के बाद इसके वुडन फ्लोर में दीमक लग गए। इसके बाद कुछ मरम्मत हुई, लेकिन इसका वुडन फ्लोर सही नहीं हो पाया। ऐसे में खोखले वुडन फ्लोर के चलते यहां कबड्डी के मैच नहीं हो पाए। एक-दो बार इस वुडन फ्लोर पर कबड्डी मैच करवाने का प्रयास किया गया तो वहां से वुडन फ्लोर क्षतिग्रस्त हो गया।
स्टोर में रखा है कुछ हिस्सा
मैट के पूरे हिस्से तो उपयोग ही नहीं हो पाया है। मैट लगाने के बाद साइडों में लगाया जाने वाला अतिरिक्त हिस्सा अभी जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र के स्टोर में ही रखा है। खास बात है कि सामान्यत: मैट पर कबड्डी रात के समय रोशनी में करवाई जाती है, लेकिन जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र के मल्टीपर्पज इनडोर स्टेडियम में बिजली की व्यवस्था ही नहीं है।
नहीं हो रहा है उपयोग
जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र में कबड्डी के मैट तो मंगवाए हुए हैं, लेकिन इसका उपयोग बड़े मैचों के समय ही हो पाता है। अभी तो सामान्यत: कबड्डी का अभ्यास खुले में ही करवाया जा रहा है। इन मैट के उपयोग के लिए अलग व्यवस्था करवाने का प्रयास किया जा रहा है।
उम्मेदसिंह यादव, जिला शिक्षा अधिकारी, श्रीगंगानगर