गाजर के प्रति यूं बढ़ा रुझान
गाजर का मुरब्बा,अचार,ज्यूस,जैम और जेली बनाई जाती है। भाव की तुलना में उत्पादन लागत कम होने से नरमा-कपास की फसल से मोह भंग हुआ तो किसानों ने विकल्प के रूप में गाजर को चुन लिया। साधुवाली गांव का हर किसान गाजर का उत्पादन कर रहा है। यहां के किसानों की देखा-देखी पड़ोसी राज्य पंजाब के अबोहर व फाजिल्का जिलों के किसान भी गाजर की खेती करने लगे हैं।
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यहां से विदेशों में भी होता है निर्यात
साधुवाली के नाम से गाजर मंडी मशहूर है। पंजाब के किसान भी अपनी गाजर बेचने के लिए इसी गांव में आते हैं। साधुवाली की गाजर कई प्रदेशों में निर्यात की जाती है। प्रतिदिन साढ़े सात हजार क्विंटल गाजर का निर्यात किया जाता है। साधुवाली के नाम से मशहूर गाजर की मांग राजस्थान के अलावा पंजाब,केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़,दिल्ली,हिमाचल प्रदेश,जम्मू,बिहार,उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल तक है। फिलहाल साधुवाली की गाजर की सर्वाधिक खपत चंडीगढ़ में है।
नहर पर होती है गाजर की धुलाई
साधुवाली में गंगनहर की भूमि पर अस्थायी तौर पर गाजर मंडी स्थापित है। यहां पर गाजर धुलाई के लिए मशीनें लगी हुई है। गाजर की यहां पर धुलाई के बाद यहां पर गाजर की बोली होती है और गाजर मंडी में अल सुबह चार से रात दस बजे तक चलती है। यहां गाजर ट्रकों से बाहर जाती है। साधुवाली के अलावा अब गाजर की धुलाई कालूवाला,तीन पुली,नेतेवाला व ख्यालीवाला आदि में भी होती है।
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क्या चाहता है किसान
– साधुवाली में गाजर मंडी विकसित कर पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए।
– गाजर के लिए वाशिंग मशीन,प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जाना चाहिए।
– गाजर का उत्पादन-28,00,000 क्विंटल
– गाजर की बुवाई-10 हजार हैक्टेयर
– गाजर का सीजन-1 दिसंबर से 31 मार्च
– मंडी में गाजर की प्रति दिन आवक -7 हजार 500 क्विंटल
– प्रति बीघा गाजर का उत्पादन -50 से 70 क्विंटल
– गाजर का औसत भाव: 3 से 5 रुपए प्रति किलो