वहीं ग्रामीण इलाकों में चलने वाले उद्योगों को मिलने वाली छूट भी नए टैरिफ प्लान में बदली गई है। जहां अब तक रात को बिजली इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को 7.5 प्रतिशत की छूट मिलती थी, उन्हें अब दिन के समय में 12 से 4 बजे के बीच विद्युत उपयोग करने पर छूट का प्रावधान रखा गया है। इस समय बिजली इस्तेमाल करने वाले औद्योगिक उपभोक्ताओं को यूनिट दरों में 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी। जबकि 11 केवी लाइन पर किए गए घरेलू कनेक्शन पर भी प्रति केवी 250 रुपए से बढ़ाकर 275 रुपए प्रति केवी कर दिया गया है। वहीं अघरेलू विद्युत कनेक्शन पर 5 किलोवाट तक 300 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 330 रुपए 200 यूनिट तक की खपत पर बढ़ा दिए गए हैं। जबकि दो सौ से पांच सौ यूनिट की खपत पर 380 से बढ़ाकर 420 रुपए कर दिए है।
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बिजली दरों में की गई बढ़ोतरी के चलते 50 यूनिट तक खपत पर बीपीएल उपभोक्ताओं से 100 रुपए की जगह बढ़ाकर 150 रुपए वसूल किए जाएंगे। जबकि 50 यूनिट तक खपत पर सामान्य उपभोक्ता से 125 रुपए से बढ़ाकर 150 रुपए वसूल होंगे। वहीं 150 यूनिट तक खपत पर फिक्स चार्ज 230 रुपए से बढ़ाकर 250 रुपए कर दिए गए हैं। जबकि 300 यूनिट तक खपत पर 275 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए किए गए हैं। इसी प्रकार 500 यूनिट तक खपत पर 345 रुपए से बढ़ाकर 400 रुपए और 500 यूनिट से अधिक की खपत पर 400 रुपए की जगह अब 450 रुपए फिक्स चार्ज वसूल किया जाएगा। ऐसे में इन बढ़ी हुई दरों का बीपीएल परिवारों पर भी आर्थिक भार बढ़ जाएगा। बीपीएल परिवारों को चिंता सता रही है कि मामूली आय से घर के दो जून की रोटी की व्यवस्था करें या बिजली के भारी बिल चुकाएं। आमजन और बीपीएल परिवारों पर बढ़े विद्युत बिलों के आर्थिक भार के बाद विपक्ष भी अब सरकार को चारों तरफ से घेरने की तैयारी में जुट गया है।
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पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की मुख्यमंत्री मुफ्त बिजली योजना लागू की गई थी। इसका लाभ करीब 98 लाख उपभोक्ताओं को ही मिल रहा है। यह वे उपभोक्ता है जिन्होंने विधानसभा चुनाव 2023 के ठीक पहले महंगाई राहत शिविर में रजिस्ट्रेशन करवाया था। करीब 30 लाख घरेलू उपभोक्ताओं अब भी इसके लाभ से वंचित है। बताया जा रहा है कि नया टैरिफ से मुख्यमंत्री मुफ्त बिजली योजना पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन अन्य उपभोक्ता, जो पहले सही खुद का ठगा महसूस कर रहे हैं, उन्हें अधिक बिल चुकाना पड़ेगा। क्षेत्रीय विधायक डूंगरराम गेदर ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से बिजली बिलों में फिक्स चार्ज बढ़ाने का निर्णय जनहित में कतई नहीं कहा जा सकता है। बिजली बिलों में तरह-तरह से बढ़ोतरी कर सरकार ने आमजन पर आर्थिक भार डालने का काम किया है।