राजस्थान पत्रिका के 14 फरवरी के अंक में प्रकाशित समाचार ‘नालों को साफ करने से परहेज के बाद जिला प्रशासन के आदेश और घरों में पानी घुसने की शिकायतों बाद बैकफुट पर आई नगर परिषद ने सफाई कराने की तैयारियां की। लेकिन यूआईटी ने सफाई के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं होने की बात कहते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में नगर परिषद प्रशासन ने दो एक्सक्वेटर मशीन, पांच ट्रॉलियों और एक डम्पर के अलावा दर्जन भर सफाई कर्मियों की टीम बनाकर शनिवार को चहल चौक से सूरतगढ़ मार्ग तक और वहां से राजकीय जिला चिकित्सालय तक मुख्य नाले को साफ करने की प्रक्रिया शुरू की।
सिल्ट इतनी कि ट्रॉलियां भरी
करीब एक किमी लंबे इस नाले में पिछले एक से डेढ़ साल तक सफाई नहीं होने के कारण सिल्ट जमा हो गई । इस क्षेत्र में सीवर खुदाई का काम चला था, ऐसे में नाले भी मिट्टी से अट गए। लेकिन इन्हें साफ करने के लिए यूआईटी ने सीवर ठेका कंपनी को पाबंद नहीं किया, जिससे इस नाले से गंदे पानी की निकासी बंद हो गई। नगर परिषद के अमले ने दिनभर मेहनत करने के बाद जो सिल्ट निकाली उससे छह ट्रालियां भर गई।
यहां खुला छोड़ा नाला
पुराना आबादी एरिया में परिषद अमले ने पिछले सप्ताह असवाल वाटिका के आसपास और रवि चौक एरिया में मुख्य नालों को साफ किया था लेकिन उस पर लगे फेरो कवर को बंद नहीं किया। खुले छोड़े गए इस नाले में कभी भी कोई व्यक्ति, बालक या पशु गिर सकता है। करीब पांच से छह फीट गहरे इन नालों को लेकर लोगों ने परिषद प्रशासन को शिकायत भी की है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां तक कि इलाके के पार्षदों ने भी अपनी समस्या से परिषद अधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
परिषद ने कराया साफ
चहल चौक से राजकीय जिला चिकित्सालय तक मुख्य नाले की सफाई का दायित्व नगर विकास न्यास का है। लेकिन नगर परिषद ने वहां जाकर यह सफाई कराई है। न्यास प्रशासन का सहयोग नहीं मिल रहा है। यहां तक कि सीवर ठेका कंपनी के अधिकारियों को पाबंद तक नहीं किया गया है। सीवर खुदाई के कारण नालों में मिट्टी पानी निकासी में अड़चन बनी हुई है।
– देवेन्द्रप्रताप सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर परिषद श्रीगंगानगर।