मौत सच, बीमा क्लेम पर बहाना करोड़ों कमाए… भुगतान अटकाए
दुर्घटना बीमा क्लेम: प्रदेश में आधे से ज्यादा किसानों के क्लेम खारिज
– राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा से उठ रहा किसानों का भरोसा
– प्रदेश में 1649 बीमित किसानों के क्लेम, 862 के क्लेम हुए खारिज
-पत्रिका एक्सक्लूसिव-कृष्ण चौहान
- श्रीगंगानगर.किसानों का राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से भरोसा उठ रहा है। कांग्रेस सरकार के आखिरी साल में बीमा हुआ नहीं और वर्तमान सरकार ने वित्तीय वर्ष के 7 माह तक बीमा ही नहीं कराया। इससे पहले भी जिन किसानों का दुर्घटना बीमा हुआ, उनमें से क्लेम पेश करने वाले आधे से ज्यादा किसानों के परिवारों को बीमा कंपनियों ने भुगतान करने से मना कर दिया।
- योजना में हर साल 20 लाख से अधिक किसान बीमा करवा रहे हैं। इसके प्रीमियम से कंपनियों के खाते में मोटी रकम जमा हो रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश के 28 लाख से अधिक किसानों ने बीमा कराया। इनके प्रीमियम से 9680.27 करोड़ रुपए बीमा कंपनियों को मिले। वहीं, बीमा कंपनियों ने केवल 493 क्लेम के 4905 लाख रुपए का ही भुगतान किया। इनके अलावा 862 बीमा क्लेम आपत्ति गिनाकर खारिज कर दिए गए, इससे किसान परिवार 8620.00 लाख रुपए के भुगतान से वंचित रह गए। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2021-22 में 21 लाख 63 हजार 334 किसानों का बीमा हुआ और उससे 8725.13 करोड़ रुपए का प्रीमियम जमा हुआ। इसके बावजूद केवल 326 क्लेम में ही 3260 लाख रुपए का भुगतान किया गया। इनके अलावा 6353.55 लाख रुपए के 643 क्लेम अलग-अलग कारण गिनाकर निरस्त कर दिए गए। श्रीगंगानगर जिले में तो 38 में से 28 क्लेम निरस्त कर दिए गए। सिर्फ 10 प्रकरणों में ही एक करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
294 बीमा दावे अभी भी बाकी
- राज्य में वित्तीय वर्ष 2022-23 के 294 बीमा क्लेम अभी पेंडिंग हैं, जिनमें 2940 लाख रुपए अटके हैं। अकेले श्रीगंगानगर जिले में के 11 बीमा क्लेम के 110 लाख रुपए बकाया हैं। योजना के तहत सहकारी बैंक से ऋण लेने वाले किसानों का बीमा किया जाता है। सामान्य मृत्यु की स्थिति में बीमा कंपनी ऋण की राशि चुकाती है।
बिना स्वास्थ्य परीक्षण के बीमा
- किसानों का कहना है कि बीमा कंपनी स्वास्थ्य परीक्षण के बिना बीमा कर रही हैं। बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद स्वास्थ्य प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण पुरानी बीमारी गिनाकर बीमा कंपनियों क्लेम निरस्त कर देती हैं। गंगानगर केन्द्रीय सहकारी बैंक (जीकेएसबी) के अनुसार 75 हजार रुपए से कम के क्लेम की बीमा कंपनी कोई जांच नहीं करती।
इस तरह अटक रहे बीमा क्लेम
- केस 1 : रायसिंहनगर तहसील की 11 टीके क्षेत्र की आशोदेवी का 22 मार्च 2022 को निधन हो गया। गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक ने केस राजस्थान स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक को जयपुर भेजा। केस यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के पास पहुंचने पर जवाब मिला कि मौत रेलवे लाइन पार करते समय हुई, आत्महत्या का मामला है। बीमा क्लेम अभी भी लंबित है।
क्लेम से मना किया
- केस 2 : श्रीविजयनगर तहसील की 46 जीबी के किसान बीरबलराम की 22 अप्रेल 2022 को मौत हो गई। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं होने के कारण क्लेम से मना कर दिया। परिजन का कहना है कि मौत कृषि संबंधी हादसे में हुई, बीमा क्लेम मिलना चाहिए।
दुखी कर रही कंपनियां
- बीमा कंपनियां प्रीमियम के दौरान स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवातीं और दुर्घटना में मौत पर पुरानी बीमारी या अन्य नुक्स निकालकर क्लेम खारिज कर देती हैं। कंपनियों की मनमानी से पीडि़त परिवार दुखी हैं। – कालू थोरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा, श्रीगंगानगर
बीमा योजना
- सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना में संबंधित बीमा कंपनियों के अपने तर्क हैं। श्रीगंगानगर जिले में वर्ष 2022-23 में इस प्रकार के कुछ प्रकरण आए हैं, जिनका निस्तारण किया जा रहा है।
- -संजय गर्ग, एमडी, जीकेएसबी श्रीगंगानगर
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