नई दिल्ली।
भारत
पाकिस्तान के बीच
1965 में हुए युद्ध को पचास साल पूरे हो गए हैं। इस युद्ध में
भारतीय सेना अपनी ताकत का शानदार प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान को उल्टे पांव भागने
पर मजबूर कर दिया था।
5 अगस्त 1965 को करीब तीस हजार पाकिस्तानी सैनिक सीमा
को पार कर कश्मीर में घुस आए थे। ये लोग स्थानीय वेशभूषा में थे, ताकि इनके आने की
किसी को भनक ना लग सके। वहीं भारतीय सेना और सरकार को जब इस घुसपैठ की जानकारी
मिली। वहीं पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू कर दिया। ये जम्मू कश्मीर
के अखनूर जिले पर कब्जा करना चाहते थे। 6 सितंबर को भारतीय सेना ने हमले का जोरदार
जवाब दिया। भारत ने इसे युद्ध घोषित करते हुए पश्चिमी सीमा से अंतर्राष्ट्रीय सीमा
लांघ दी।
हालांकि विश्व का महाशक्तियों के हस्तक्षेप के बाद भारत और
पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम घोषित कर दिया गया। वहीं ताशकंद में लाल बहादुर
शास्त्री और पाक जनरल अयूब खान के बीच हुए समझौते के बाद दोनों देश अप्रैल, 1965 की
सीमाओं की स्थिति बनाए रखने पर राजी हो गए।
इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान
के 1800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया, जबकि भारत के 550 वर्ग किलोमीटर
पर पाक का कब्जा हो गया। पाकिस्तान के 90 से ज्यादा अमरीकन पैटर्न टैंकों को भारतीय
सेना ने बर्बाद कर दिया, जबकि भारत को 30 टैंकों का नुकसान पहुंचा।
गौरतलब
है कि
28 अगस्त से 22 सितंबर तक 1965 के भारत-पाक युद्ध के 50 साल पूरे होने पर
गोल्डन जुबली मनाई जा रही है। इस दौरान 1 सितंबर को भारतीय वायुसेना की ओर से भी द
डुएल्स ऑफ द हिमालयन ईगल: द फर्स्ट इंडो-पाक एयर वॉर्यपर एक किताब लॉन्च की जाएगी।
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