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छह साल से निराशा: 1.27 करोड़ का तालाब नहीं रोक पाया पानी

जल संरक्षण की बात कर रहा प्रशासन शहर के नजदीक बसे अमरौल के ऐतिहासिक तालाब में ६ साल से पानी नहीं रोक पाया है। 2 साल से तो स्थिति यह है कि तालाब में पा

ग्वालियरAug 31, 2017 / 09:01 am

Gaurav Sen

gwalior pond

धर्मेन्द्र त्रिवेदी @ ग्वालियर

जल संरक्षण की बात कर रहा प्रशासन शहर के नजदीक बसे अमरौल के ऐतिहासिक तालाब में 6 साल से पानी नहीं रोक पाया है। 2 साल से तो स्थिति यह है कि तालाब में पानी रुक ही नहीं रहा। वह भी तब जब तालाब सुधारने 1.27 करोड़ रुपए से बंड बनवाई गई, दो बार इसकी मरम्मत की गई अब यह भगवान भरोसे है।


बता दें कि 100हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले इस तालाब में पानी जमा होने से अमरौल, एराया, निकौड़ी, प्रेमपुर, रजौआ, रामपुर, बड़ेराभारस सहित कई गांवों का भूजल संतुलित हो सकता था, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े काम के कारण जल संरक्षण का प्रयास खत्म होता दिख रहा है। पूरे काम में जल संसाधन विभाग और ठेकेदार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं, सूखे जैसी समस्या पैदा होने के कारण फिर से इस तालाब के काम पर उंगलियां उठना शुरू हो गईं हैं।

 

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एक ही प्वॉइंट पर टूट रही बंड

सबसे पहली बार1970 के दशक में बंड टूटी थी, तब से सिलसिला जारी है।

अगस्त 2011 से लगातार जुलाई 2015 में इसकी बंड टूटी थी।

 

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तालाब नहीं, छोटा बांध समझिए
इस बांध (जलाशय) की बंड लगभग 3.5 किमी है। इसका जल भराव क्षेत्र लगभग ६ किमी की परिधि में है। तालाब में शीतला के जंगल सहित ऊपरी क्षेत्र में बसे धिरौली गांव तक से पानी बहकर आता था।


दो साल से नहीं टिकी बूंद
रियासतकाल में बने इस तालाब का काम जल संसाधन द्वारा कराए जाने के बाद से यह एक भी बार पूरा नहीं भरा गया है। बीते सालों की बात करें तो 2016 और अगस्त 2017 तक इस तालाब में पानी आया ही नहीं है।

इसलिए टूटती है बंड

ठेकेदार बंड को बनाने में बंधान की सही तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया।

ठेकेदार पक्की मिट्टी व कांक्रीट की बजाय कंकडय़ुक्त पीली मिट्टी का उपयोग करते हैं।
इस मिट्टी में पानी बैठते ही सूराख होता है, इसके बाद यह बड़ा होता चला जाता हैै।
2014 और 2015 में बंड टूटने पर नीचे के क्षेत्र में मौजूद किसानों की फसलें डूब गई थी।

 
लापरवाही : ग्रामीणों बोले अधिकारियों ने ठेकेदार से मिल पीली मिट्टी की बंड टूटने पर बोरी रखवाईं थीं। बाद में यहां के ओवर फ्लो को तुड़वाया, इसके बाद बीयर की ऊंचाई को लगभग दो फीट नीचे कर घोर लापरवाही की गई।

 इससे पांच सालों में जब एक बार पूरा तालाब भरा तो वेस्ट बीयर से पानी बहने लगा था, इसके बाद बंड में छेद हुआ और 100 से अधिक किसानों को सीधी क्षति हुई थी।

अब तक निरीक्षण
बीते पांच साल में तीन बार एडीएम, २ बार जिला पंचायत सीईओ और लगभग हर बारिश में एसडीएम, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का दौरा यहां हुआ है।

तालाब सिंधिया स्टेट के समय का है, बचपन में इसको भरा देखा है। पांच साल से इसकी बंड टूटने से यह भर ही नहीं पा रहा है।
सतेन्द्र सिंह रावत, स्थानीय रहवासी


पूरे जिले के 300 तालाबों को रीचार्ज करने का प्लान कर रहे हैं। इसकी पूरी कार्ययोजना बन गई है, जल्द ही काम शुरू होंगे और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
नीरज कुमार सिंह, सीईओ-जिपं

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