इन सभी पक्षों को दिया नोटिस एनजीटी की ओर से क्षेत्रीय कार्यालय केंद्रीय भूजल प्राधिकरण जयपुर, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर, जिला आबकारी अधिकारी अलवर, जिला आबकारी अधिकारी उत्पादन इकाइयां बहरोड और 19 शराब बीयर की फैक्ट्रियों को नोटिस दिया गया है। इन सभी को 4 सप्ताह में जवाब पेश करना है।
इन विभागों की कमेटी बनाई एनजीटी ने एक संयुक्त समिति का गठन किया है। इसमें केंद्रीय भूजल प्राधिकरण जयपुर, अलवर कलेक्टर और सदस्य सचिव, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। यह कमेटी मौका-मुआयना करेगी और एक रिपोर्ट तैयार कर छह सप्ताह में एनजीटी को पेश करेगी। याचिकाकर्ता की ओर से एक सप्ताह के भीतर इस कमेटी को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे।
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पानी का अति दोहन कर रही हैं फैक्ट्रियां हैदर अली ने याचिका में लिखा है कि अलवर, खैरथल-तिजारा और कोटपूतली-बहरोड़ जिले में आमजन बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। वहीं, 19 शराब-बीयर की फैक्ट्री पानी का अति दोहन कर रही हैं। भूजल विभाग अलवर की आरटीआई में सामने आया कि अलवर जिले में संपूर्ण 14 पंचायत समिति (जिसमें पूर्व में बहरोड़ भी साथ में थी) अति दोहित डार्क जोन में थीं। इसके बाद बाद भी अधिकांश भूमिगत पानी शराब व बीयर फैक्ट्रियां खींच रही हैं। प्रदेश के कुल शराब उत्पादन का 60.31 प्रतिशत अकेले अलवर जिले में हो रहा है। अलवर, बहरोड़, नीमराणा, शाहजहांपुर एवं भिवाड़ी क्षेत्र में अभी 21 शराब व बीयर फैक्ट्रियां हैं। जितना पानी ये उपयोग में ले रही है, उतने पानी से अलवर शहर की जनता को कई महीनों तक पानी आपूर्ति किया जा सकता है। इनमें ज्यादातर फैक्ट्रियों के पास बोरवेल की एनओसी नहीं है। जिनके पास एनओसी है, वहां भी आवश्यकता से ज्यादा बोरवेल चल रहे हैं।