पानी के टांकों में ब्रीडिंग
विशेषज्ञ के अनुसार मलेरिया रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। जिनकी अधिकतम आयु 40 दिन रहती है। यह मच्छर 35 से 40 डिग्री सेल्सियस में ज्यादा प्रभावी रहता है। इसके पनपने के लिए साफ और स्थिर पानी होना जरूरी है। शुष्क क्षेत्रों में पानी के टांकों में नमी के कारण यह आसानी से पनप जाते हैं। एनटामॉलिजकल सर्वे के अनुसार इस समय क्यूलेक्स मच्छर के साथ एनाफिलीज मच्छर भी पनपने लगा है। मादा एनाफिलीज के काटने से मलेरिया के परजीवी लाल तीन माह में 113 रोगी चिकित्सा विभाग के अनुसार नए साल के पहले तीन माह में ही प्रदेश के सभी जिलों में मलेरिया के 113 रोगी सामने आ चुके हैं। जिनमें सर्वाधिक रोगी बाडमेर में 26 रोगी और जैसलमेर में 22 रोगी सामने आ चुके हैं। उदयपुर में 15 रोगी मिले। नहरी क्षेत्र होने के बावजूद गंगानगर जिले में 11 व हनुमानगढ़ में 1 और अनूपगढ़ में छह, अलवर में 4 पहाड़ी क्षेत्र प्रतापगढ़ में 5,राजसमंद में 4, नागौर व डूंगरपुर में 1-1, बीकानेर में आठ, भरतपुर व भीलवाड़ा में एक-एक झालावाड में एक, जयपुर ग्रामीण में 3 रोगियों की पुष्टि हो चुकी है। राहत की बात है कि सीकर में अब तक मलेरिया के किसी भी रोगी की पुष्टि नहीं हुई है।
21 साल में बीस हजार से ज्यादा मौत वेक्टर जनित रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCVBDC) के अनुसार राजस्थान में 2001 से 2022 तक 21 सालों में मलेरिया से 20,044 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मच्छर से होने वाली इस बीमारी में इम्यूनिटी तेजी से गिरती है। मलेरिया प्लाजमोडियम नाम के परजीवी के कारण फैलती है। ये परजीवी मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने से शरीर में फैलता है। वीवैक्स और फैल्सीपैरम दो सबसे कॉमन प्लाजमोडियम हैं जिसमें फैल्सीपैरम ज्यादा घातक है। इसके कारण सेरीब्रल मलेरिया होता है।
मलेरिया के लक्षण
फिजिशियन डॉ. एसके वर्मा ने बताया कि यह समय मच्छरों का ब्रीडिंग टाइम है। एनाफिलीज मच्छर अंधेरे में अधिक सकिय रहता है । ऐसे में शाम ढलने से लेकर सुबह होने तक इससे बचाव के लिए सभी जरूरी उपाय करें। मलेरिया रोग के शुरूआती लक्षण कंपकंपी और ठंड लगने से शुरू होते हैं। उसके बाद तेज बुखार होता है। पसीना आने के बाद तापमान सामान्य हो जाता है। इसमें उल्टी भी हो सकती है। साथ सिर में तेज दर्द रहता है। इसके लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के कुछ हफ्तों के भीतर शुरू होते हैं। गंभीर मलेरिया में पीलिया भी हो सकता है। शरीर में खून की कमी हो सकती है।
फैैक्ट फाइल
सीकर वर्ष – रोगी संख्या 2020–08 2021–2 2022–5 2023–4 इनका कहना है बाडमेर और जैसलमेर सहित शुष्क क्षेत्र में पीने के पानी के लिए टांके बने हुए हैं। कई टांकों पर ढक्कन सही तरीके से नहीं लगाने के कारण मच्छर आसानी से पैदा हो जाते हैं। इसके अलावा इन क्षेत्रों में मिट्टी में पानी को सोखने की क्षमता भी कम हो जाती है। यही कारण है इन क्षेत्रों में मलेरिया के रोगी ज्यादा मिलते हैं। डॉ. निर्मल सिंह, सीएमएचओ सीकर