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वाहनों के विद्युतीकरण से लेकर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने तक पिछड़ रहे प्रदेश

देश का कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ईवी की संख्या बढ़ाने, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या निवेश के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के ट्रैक पर नहीं है।

Feb 18, 2023 / 11:58 am

Kiran Kaur

वाहनों के विद्युतीकरण से लेकर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने तक पिछड़ रहे प्रदेश

वाहनों के विद्युतीकरण से लेकर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने तक पिछड़ रहे प्रदेश

भारत में ई-मोबिलिटी की शुरुआती सफलता का श्रेय राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सहायक नीतियों को दिया जा सकता है। देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 26 ने पिछले पांच सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के संबंध में नीतियां जारी की हैं। इनमें भी आधे से ज्यादा ने 2020 से 2022 के बीच ईवी नीतियों को अपनाया। लेकिन एक नए अध्ययन में पाया गया है कि देश का कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ईवी की संख्या बढ़ाने, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या निवेश के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के ट्रैक पर नहीं है।

मौजूदा व्यापक नीतियों वाले प्रमुख राज्य : क्लाइमेट ट्रेंड्स के अध्ययन ‘राज्य की इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों का विश्लेषण और उनका प्रभाव’ ने 21 मापदंडों के आधार पर राज्यों की ईवी नीतियों की व्यापकता का आकलन किया। इन मापदंडों में लक्ष्य और बजट आवंटन, मांग, विनिर्माण प्रोत्साहन और रोजगार का सृजन आदि शामिल थे। पाया गया कि महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब शीर्ष पांच राज्यों में ईवी नीतियां सबसे व्यापक हैं। ये राज्य 21 में से 13-15 के बीच मापदंडों को पूरा करते हैं। जबकि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, केरल और उत्तराखंड की नीतियां सबसे कम व्यापक हैं। अरुणाचल प्रदेश ऐसा राज्य है जहां ईवी बिक्री, विनिर्माण या चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कोई स्पष्ट लक्ष्य नहीं है।
लक्ष्य से काफी दूर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति: चंडीगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, मेघालय और लद्दाख, केवल नौ राज्यों ने नए आवासीय भवनों, कार्यालयों, पार्किंग स्थलों और मॉल आदि में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को अनिवार्य किया है। वहीं केरल और मध्यप्रदेश अपने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के 2022 के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए हैं। देश में सबसे अधिक चार्जिंग स्टेशनों के साथ दिल्ली ने 2024 तक इनकी संख्या 30,000 करने का लक्ष्य रखा है लेकिन वह फिलहाल इसका केवल 9.67 फीसदी ही हासिल कर पाई है।
ग्रीन जोन बनाने में फिलहाल कोई प्रगति नहीं: सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण के मामले में भी राज्य पिछड़ रहे हैं। तमिलनाडु का लक्ष्य 2030 तक हर साल पांच फीसदी बसों को इलेक्ट्रिक में बदलना है, लेकिन राज्य में अब तक ऐसी एक भी बस नहीं है। केरल ने 2025 तक 6,000 बसों का लक्ष्य रखा है, लेकिन यहां फिलहाल केवल 56 हैं। सात राज्यों ने स्मार्ट सिटी पहल के तहत ‘ग्रीन जोन’ बनाने का लक्ष्य रखा है, जहां केवल शून्य उत्सर्जन वाले वाहन जैसे ईवी, साइकिल रिक्शा और साइकिल की चलेंगे हालांकि अभी तक इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है।

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