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नेेशनल हाईवे 48 की कठिन डगर: वाहन चालक पानी में ढूंढ रहे सडक़

– सडक़ मिलते ही जाम से सामना

जयपुरSep 13, 2024 / 01:10 pm

MOHIT SHARMA

कोटपूतली. यदि आप नेशनल हाईवे 48 पर जयपुर से दिल्ली के मध्य यात्रा कर रहे है तो सावधान हो जाएं। यहां पानी में छिपी सडक़, सडक़ पर बने गड्डे और जाम एक साथ आपका इंतजार कर रहे हैं। नेशनल हाईवे के खस्ता हालत की यह कहानी नई नहीं है। जब से हाईवे बनाना शुरू हुआ है तभी से ये सिलसिला चला आ रहा है, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हाल ही में फ्लाईओवर का निर्माण कार्य जब से शुरू हुआ है तब से जाम की समस्या यहां आम हो चली है। अधिकारी दौरा तो करते हंै,निर्देश भी जारी करते हैं, लेकिन इस पर अमल कितना होता है यह बात कोटपूतली की सीमा में प्रवेश करते ही समझ में आ जाती है। जब वाहन चालक यहां घंटों जाम में फंसे रहते हैं और “दिल्ली अभी दूर है “की कहावत चरितार्थ होती रहती है। हाल की बारिश के बाद तो हाईवे की हालत और भी खराब हो गई है जगह-जगह सडक़ पर गड्ढ़े बन गए जो कहीं दिखते हैं और कहीं सडक़ पर भरें पानी के अंदर हैं। वाहन चालकों को पानी में सडक़ ढूंढने की चुनौती का हर बार सामना करना पड़ता है। भाग्य रहा तो सडक़ मिलेगी वरना गड्ढें में दुर्घटना भी हो सकती है। पानी से बचकर यदि सडक़ मिल गई तो आगे लगा कई किलोमीटर लंबा जाम है।
पानी में डूबी सडक़

हाईवे पर पानी के निकास की कहीं कोई समुचित व्यवस्था नही है। हाईवे पर बने नाले कचरे से भरे पड़े होने के कारण ओवरफ्लो हैं जिससे बारिश का पानी नेशनल हाईवे पर ही जमा हो रहा है। अंदाज लगाना ही मुश्किल है कि हाईवे लेन के बगल में कहां नाला है? कहां सर्विस लेन है? कहां खड्डे है? सब पानी में डूबे हुए हैं। सब्जी मंडी के साथ अति व्यस्त अलवर बानसूर कट होने के कारण हाईवे की यह बदतर स्थिति लोगों के घंटों जाम में फंसे रहने का कारण बन रही है।
अधिकारियों के निर्देश का भी असर नहीं
पिछले कुछ महीनों से लगातार से चल रहे जाम के हालतों के देखते हुए जिला कलक्टर सहित आला अधिकारी नेशनल हाईवे पर चल रहे फ्लाईओवर के निर्माण कार्य का निरीक्षण करके, हाईवे आथोरिटी को यातायात व्यवस्थाओं को सुचारू रखने के निर्देश तो कई बार दिए, लेकिन एनएएचआई के अधिकारी जाम की गंभीर समस्या का समाधान निकालने में नाकामयाब साबित हुए हैं। फ्लाइओवर का निर्माण कार्य शुरू करने से पहले इस बात पर कतई ध्यान नहीं दिया गया कि यातायात की वैकल्पिक व्यवस्था क्या रहेगी। स्थानीय प्रशासन और एनएएचआई की इसी गलती का खमियाज़ा वाहन चालक और स्थानीय नागरिक भुगत रहे हैं ।

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