जब इंसान खुद गरीबी में पला-बढ़ा हो, तो गरीबी के दर्द को बड़े अच्छे-से समझता है। फिर अगर कुछ बन जाने के बाद उसके अंदर की इंसानियत न मरे, तो वो गरीबों का दर्द दूर करने की कोशिश ज़रूर करता है। बेहद मुश्किल हालात में पढ़-लिख कर आईपीएस बने शिवदीप वामनराव लांडे की कहानी कुछ ऐसी ही है।
मां-बाप बहुत कम पढ़े-लिखे हैं- महाराष्ट्र के अकोला जिले के परसा गांव में जन्मे शिवदीप एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। हमेशा पैसों का अभाव तो रहा ही, साथ ही घर में कभी पढ़ाई-लिखाई का माहौल नहीं मिला। उनके पिता दसवीं कक्षा में तीन बार फेल हैं और मां बस सातवीं पास हैं। दो भाइयों में शिवदीप बड़े हैं। स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। सिविल सर्विस की तैयारी करने के बाद उन्हें भारतीय राजस्व विभाग में नौकरी मिली। बाद में उनका चयन यूपीएससी में हो गया।
अपराधी ट्रांसफर करवा देते थे- शिवदीप की पहली पोस्टिंग मुंगेर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र जमालपुर में हुई थी। जब वे पटना के एसपी बने, तो अपनी ईमानदारी और सख़्त कार्यशैली की वजह से पूरे विभाग और जनता में छा गए। यह बात अलग है कि इस वजह से उन्हें अपराधियों और उनके सहयोगियों के विरोध और कई ट्रांसफर झेलने पड़े। इस वक्त वे अपने गृह-राज्य महाराष्ट्र में नियुक्त हैं। निजी जिंदगी में वे बहुत नम्र स्वभाव के हैं।
नौकरी के साथ निभाते हैं इंसानियत- जो बात शिवदीप को सबसे खास बनाती है, वो है उनके दिल में गरीबों के लिए दर्द। वे हर महीने अपनी सैलरी का 25 से 30 प्रतिशत गरीबों और वंचितों की मदद के लिए दान कर देते हैं। वे दूसरे सामाजिक कार्यों में भी लगे रहते हैं। गरीब लड़कियों की शादी भी करवाने के अलावा लड़कियों की सुरक्षा के लिए भी वे खासतौर से काम करते हैं। उनकी पत्नी ममता महाराष्ट्र के मंत्री विजय शिवतारे की बेटी हैं। उनसे उनकी लव मैरिज हुई है और एक बेटी भी है। घर की जिम्मेदारियां बढ़ने से पहले वे अपनी सैलरी का 60 प्रतिशत दान कर देते थे।
Hindi News / Special / अपनी सैलरी गरीबों को दान कर देता है यह आईपीएस अधिकारी, तीन बार दसवीं फेल पिता का है बेटा!