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सीतापुर

इसी आश्रम में दधीचि ने दान की थीं अस्थियां, अब हो रही अवैध बिक्री

मंदिर के महंत ने अपने आप को बताया भू स्वामी, सरकार को लग रहा लाखों का चूना

सीतापुरMar 20, 2016 / 09:20 pm

Hariom Dwivedi

Mishrikh

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हिमांशु पुरी
सीतापुर.
मिश्रिख जहां महर्षि दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी अस्थियां त्यागी थीं आज उस भूमि को भी पैसों के लिए बेचा जा रहा है।

मामला सीतापुर के मिश्रित तहसील में स्थित महर्षि दधीचि आश्रम के करोड़ों की जमीन का है। यहां मंदिर कमेटी द्वारा महज 500 रुपये के स्टैम्प पर 30-30 साल के लिए पट्टा किया जा रहा है। इतना ही नहीं स्टैम्प में मंदिर कमेटी के महंत को भू स्वामी भी दर्शाया गया है। जबकि मंदिर कमेटी में प्रत्येक व्यक्ति को एक उस संस्था का एक पद दिया जाता है, जिसका वो निर्वहन करता है और उस पद के अधिकारों के तहत कार्य करता है।

दरअसल, इस महान दानी ऋषि की गद्दी धारक बाबा महन्त देवदत्त गिरि आजकल मन्दिर ट्रस्ट की जमीन का अवैध पट्टा करके बिक्री कर रहे हैं। ये सारी जमीन करोड़ो रुपयों की है, जिसे मंदिर कमेटी द्वारा पट्टे के नाम पर बेच जा रहा है। सूत्रों की माने तो मंदिर की इस गद्दी के पास करीब एक हजार बीघा जमीन है। जिस जमीन से मंदिर कमेटी की सालाना कमाई भी लाखो में है, फिर भी सीतापुर हरदोई मार्ग स्थित जमीन को रोड साइड 90 व 30 साल का पट्टा करीब तीन सौ वर्ग फिट जमीन ढाई लाख रुपये में पट्टे के नाम पर बेच रहे हैं। मन्दिर की अवस्था में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। मन्दिर के नव निर्माण का जिम्मा दधीचि फाउण्डेशन ट्रस्ट देख रहा है, लेकिन इस गद्दी से अरबों कमाने वाले मंदिर कमेटी के लोग कमाने की फ़िराक में हैं और भूमाफियाओं से सांठ गांठ कर जमीन देने व उनसे मोटा धन वसूलने में लगे हैं।

पट्टा करने का क्या है नियम ? कैसे हो रही स्टैम्प की चोरी?
मंदिर कमेटी को मंदिर की आय बढ़ने का अधिकार तो प्राप्त है लेकिन सरकारी नियमों की माने तो जब किसी जमीन का 30 साल के लिए पट्टा किया जाता है तो पट्टा रजिस्टर्ड होना चाहिए और उसके लिए रजिस्ट्रेशन फीस के साथ जो किराया प्रतिमाह स्टैम्प में दिखाया गया है उसे तीस साल से जोड़कर उसका करीब 4 प्रतिशत सरकारी टैक्स दिया जाना चाहिए। जबकि दधीचि आश्रम की जमीन को मात्र 500 रुपये के स्टैम्प पर 1200 रुपये प्रतिमाह किराया और हर 3 साल में किराये की बढ़ोतरी को नोटरी कराकर टैक्स की चोरी की जा रही है।

क्या कहते हैं तहसीलदार?
इस मामले में तहसीलदार मिश्रित ने कहा कि यदि कोई 30 वर्ष के लिए किसी जमीन का पट्टा किया जाता है तो उसे रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है और उसपे 30 वर्ष तक का टैक्स भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा की यह गलत हुआ है, मामला संज्ञान में लाइए कार्रवाई की जायेगी।

जब इस पूरे मामले में महर्षि दधीचि आश्रम के महंत देव दत्त गिरी जी महाराज से बात की तो उनका कहना था कि हमने कोई 30 साल के लिए रजिस्टर्ड किरायनामा नहीं किया है। आश्रम ने ऐसे ही 30 साल तक प्रतिमाह किराये पर दिया है। वहीं उन्होंने कहा की इस जमीन के वे भू स्वामी हैं। मेरे गुरु की जमीन थी और गुरु के बाद उसके चेले की हो जाती है। तभी 500 रुपये के स्टैम्प पर भू स्वामी लिखाया है।

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