पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि सीतापुर जनपद में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां दूर-दूर से पर्यटक तो आते ही हैं साथ ही ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस स्थान को ध्यान योग के लिए सबसे उत्तम बताया है। प्राचीन काल में करीब 88 हजार ऋषि-मुनियों ने इस स्थान पर तप व वेदों पुराणों की रचना की थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी के चक्र ने पृथ्वी में एक छेद किया था, जिसके परिणामस्वरूप जल का एक विशाल भंडार उत्पन्न हुआ था, जिसे चक्रतीर्थ के नाम से जाना जाता है। रामायण में भी ये उल्लेख है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ पूरा किया था।
ऐसा तीर्थ स्थल जो भक्तों की आस्था का प्रतीक है, उसके विकास के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है। नैमिषारण्य स्थित वेद व्यास आश्रम, जिसे व्यास गद्दी के नाम से भी जाना जाता है, मनु-शतरूपा मंदिर के समीप स्थित है। मान्यता है कि इसी आश्रम में महर्षि वेदव्यास ने 4 वेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण, महाभारत और श्री सत्यनारायण व्रत कथा की रचना की थी।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि नैमिषारण्य में निरंतर पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु ट्रैक्टर- ट्राली से भी आते हैं। इसके दृष्टिगत यहां ट्रैक्टर-ट्राली की पार्किंग बनाई जाएगी। इसके अलावा पार्किंग एरिया में रोड बनाई जाएगी। साथ ही दो गार्ड रूम, ओपन किचन, पूजन सामग्री की दुकानें, शौचालय, पीने के पानी सहित अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इन कार्यों के होने के बाद पर्यटकों को काफी सुविधा मिलेगी।