उम्र बढ़ती गई और
सांप को रेस्क्यू करने का राजकुमार का अनुभव भी बढ़ता गया। उनका यह शौक अब सेवा का रूप ले चुका है। जब भी राजकुमार के फोन की घंटी बजती है तो वह दूसरों की मदद करने और सांपों का रेस्क्यू करने के लिए निकल पड़ते हैं। 1993 में पहला सांप धनारी गांव से पकड़ा था और अब तक 34 साल में करीब 35 हजार से भी ज्यादा
सांपों का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ चुके हैं। राजकुमार राणा ने लोगों को सर्प दंश का शिकार होने से भी बचाया है। क्योंकि हिल स्टेशन माउंट आबू चारों ओर से वनों से घिरा है। जिससे यहां अनेक प्रकार के वन्य जीव पाए जाते हैं। इनमें रेंगने वाले सांपों के अलावा अनेक प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। आए दिन जहरीले सांप जंगलों से निकलकर रहवासी घरों में पहुंच जाते हैं।
रेस्क्यू टीम शहर में फैला रही है जागरुकता
राजकुमार राणा के नेतृत्व में बनाई गई स्नेक रेस्क्यू टीम के द्वारा शहर में जागरुकता लाने के बाद से लोग अब सांपों को मारने की बजाय सर्प मित्रों को सूचित करते हैं। ये सर्प को पड़कर वापस जंगल में छोड़ देते हैं। स्नेक मैन राजकुमार राणा का दावा है कि उन्होंने अब तक 35 हजार से भी ज्यादा सांपों को रेस्क्यू कर जंगल में सुरक्षित छोड़ा है। राणा का कहना है कि जैसे ही उन्हें कहीं सांप निकलने की सूचना मिलती है, वे वन विभाग की टीम व खुद की रेस्क्यू टीम के साथ पहुंच जाते हैं। राणा ने बताया कि उनकी टीम के द्वारा विकट परिस्थितियों में पैंथर, भालू व मगरमच्छों को भी पकड़ा जाता है। उनकी टीम द्वारा कई लोगों को ट्रेंड भी किया जाता है। टीम ने अब तक कोबरा, क्रैफ, रसल वाइपर व सोशल वाइपर सहित कई प्रजाति के सांपों का रेस्क्यू किया हुआ है।
ढुंढ़ई में रूप सुंदरी सर्प का किया रेस्क्यू
रविवार को ढूंढई स्थित सन एंड रॉक के पीछे एक रहवासी मकान के बाथरूम में रूप सुंदरी प्रजाति का सांप आने की सूचना मिलने पर राजकुमार राणा मौके पर पहुंचे और मात्र 5 मिनट में ही सांप का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया। उन्होंने लोगों से आह्वान किया की बारिश के मौसम में घरों के आसपास खुले में खाने की सामग्री नहीं फेंके, जिससे चूहे ज्यादा होने से सांप चूहे खाने के लिए रहवासी घरों में घुसते हैं। साथ ही जूते पहनते समय भी ख्याल रखें। कई बार जूते में भी सर्प छुप जाते हैं। ठंडा मौसम होने के कारण सांप घरों में घुस रहे हैं।