क्षेत्र के आदिवासियों व ग्रामीणों की मानें तो करौंदा ही नहीं अन्य पेड़-पौधों के लक्षण भी अनुकूल दिख रहे हैं। पेड़-पौधे व पशु-पक्षी भी अपने अंदर ढेर सारी जानकारियां छिपाए हैं। ग्रामीणों को इस समय भीषण गर्मी के चलते अच्छी वर्षा की उम्मीद है।
इसलिए मान रहे हैं अच्छी बारिश होना
जानकारों के अनुसार पेड़-पौधे, जीव-जंतु जो मनुष्य से अधिक प्रकृति के निकट व उस पर आश्रित हैं, उसके संदेशों को ग्रहण कर प्रकट करते हैं। उनके निकट रहने वाले वनवासी उन चिन्हों को सबसे अधिक समझते हैं। इसी आधार पर आगामी मौसम को लेकर वर्षा की वे निश्चित होकर भविष्यवाणी करते हैं। इस वर्ष करौंदे के फल सामान्य ही दिखाई दे रहे हैं जिससे अच्छी बारिश होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वन्य क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से पकने वाले करौंदे आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों की आजीविका का स्रोत है, जो कि अहमदाबाद, मुंबई, सूरत, बड़ौदा, राजकोट समेत विभिन्न शहरों में बिकने जाते हैं। वहां लोग इन्हें बड़े चाव से खाते हैं।
पेट के लिए सेहतमंद हैं करौंदे
माउंट आबू की पहाड़ियों समेत विभिन्न क्षेत्रों में करौंदे के पेड़ खूब मिलते हैं। ऊंचे पहाड़ों में जड़ जमाए 8-10 वर्ष में फल देने वाला कांटेदार यह पौधा 10 से 15 फीट लंबाई मेें होता है। इसका महत्व आम लोगों के लिए फल खाने तक सीमित हैं जो जून के महीने में पका हुआ मिलता है। काले रंग, दो तीन बीजों वाला यह फल विशेषकर पेट के लिए काफी सेहतमंद होता है। – आर. के. सोनी, पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी, हिमाचल प्रदेश