क्षेत्र के जानकारों की माने तो नोटा का बटन दबाने वालों में ज्यादातर जागरूक मतदाता शामिल हैं। क्योंकि क्षेत्र के उन इलाकों में नोटा के मत अधिक हैं, जहां पढ़े-लिखे मतदाताओं की संख्या अधिक है। माना जा रहा है कि पढ़े-लिखे मतदाता बूथ पर पहुंचे तो जरूर, लेकिन नोटा का बटन इस तर्क के साथ दबाया कि क्षेत्र में उनकी समझ से यहां का प्रतिनिधि बनने के लायक कोई नहीं है। गौरतलब है कि उन क्षेत्रों में नोटा के मत अधिक हैं, जहां सीट एससी-एसटी के लिए आरक्षित रही है।
मतगणना ही नहीं मतदान के बाद भी चितरंगी विधानसभा क्षेत्र चर्चा में रहा है। क्षेत्र के पुरुष और महिला मतदाताओं ने पिछले वर्ष की तुलना में मतदान प्रतिशत में बढ़त बनाने हुए प्रदेश की टॉपटेन की सूची में क्षेत्र का नाम दर्ज कराया है। वर्ष 2013 की तुलना में महिलाओं के मतदान प्रतिशत अब की बार 9.64 फीसदी का इजापा रहा है। बढ़ोत्तरी के साथ 66.51 फीसदी मतदान तक पहुंचा क्षेत्र प्रदेश के केवल आठ क्षेत्रों से पीछे रहा है।