केंद्रीय श्रमिक संगठन एटक, सीटू, इंटक व एचएमएस के साथ ही बीएमएस ने भी कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ में आवाज बुलंद की है। इन पांचों केंद्रीय यूनियनों ने मिलकर कोल इंडिया प्रबंधन को चेताया था कि यदि कमर्शियल माइनिंग पर पुनर्विचार नहीं होता है तो 2 जुलाई से तीन दिवसीय हड़ताल पर जाएंगे। केंद्रीय श्रम आयुक्त और कोयला मंत्री से वार्ता विफल होने के बाद 2 जुलाई गुरुवार को सभी श्रमिक संगठनों ने एक साथ मिलकर आंदोलन की शुरुआत कर दी है।
इंटक यूनियन नेता आदित्य नारायण मिश्रा एवं बीएन सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण देशहित और श्रमिक हित के लिए किया था। भाजपा सरकार इस पब्लिक सेक्टर को योजनाबद्ध तरीके से बेच रही है। बीएमएस नेता अरुण दुबे ने कहा कि कोयला खनन का अधिकार कोल इंडिया के पास ही रहना चाहिए। निजी कंपनी तो अपने फायदे के लिए काम करेगी। मजदूरों का जमकर शोषण करेगी। एटक नेता अशोक दुबे ने कहा कि सरकार का निर्णय गलत है।
इससे कोयला उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। वहीं सीटू नेता पीएस पांडे व अशोक धारी ने कहा कि सरकार भटक गई है। कोयला उद्योग में निजी कंपनियों के आने का पुरजोर विरोध होगा और आज की हड़ताल से सरकार व प्रबंधन की चुले हिल जाएंगी। एचएमएस नेता केसी शर्मा व अशोक पांडे ने कहा कि निर्णय कोयला उद्योग के लिए घातक है। सड़क से लेकर संसद तक लड़ेंगे। यह सरकार मजदूर विरोधी काम कर रही है। आने वाले समय में सरकार को इसका जबाव मिल जाएगा।
गुरुवार सुबह से ही यूनियन नेता और कोल कर्मचारी खदान बैरियर व परियोजना प्रवेश द्वार पर डटे दिखे। यूनियन नेता आरएम त्रिपाठी, मुन्नीलाल, जितेंद्र सिंह, शैलेंद्र चौबे, संत कुमार, अटल राम एवं एसएन सिंह ने बताया कि सभी श्रमिकों का सहयोग कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ लड़ाई में मिल रहा है और आउटसोर्सिंग कंपनियों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शरीक होकर हड़ताल को मजबूत किया है। सरकार को कमर्शियल माइनिंग के फैसले पर पुनर्विचार करना होगा और कोल श्रमिको के भविष्य के साथ किसी को भी खिलावाड़ नहीं करने दिया जाएगा।
स्थिति को नियंत्रित करने सक्रिय रही पुलिस
हड़ताल में मोरवा पुलिस व उत्तर प्रदेश की शक्तिनगर पुलिस सक्रिय रही। मोरवा थाना प्रभारी मनीष त्रिपाठी ने कमान संभाल रखा था। वहीं शक्तिनगर क्षेत्र में पिपरी क्षेत्राधिकारी विजय शंकर मिश्रा के नेतृत्व में शक्तिनगर थाना प्रभारी मिथिलेश मिश्रा दल-बल के साथ मोर्चेे पर डटे रहे। ताकि स्थिति शांतपूर्ण बनी रही।
काम पर जाने वालों को महिलाओं ने भेंट की चूडिय़ां
हड़ताल के दौरान एनसीएल की खडिय़ा परियोजना में महिला कर्मियों ने भी मोर्चा संभाला। उनकी ओर से उन कर्मचारियों को चूड़ी भेंट की गई, जो हड़ताल के दौरान काम पर गए। करीब 20 फीसदी कर्मचारी आकस्मिक सेवाओं का हवाला देते हुए काम पर रहे। यही वजह है कि कार्यालय से लेकर खदान में काम चलता रहा।
एनसीएल का दावा, 18500 टन कोल उत्पादन हुआ
एनसीएल के जनसंपर्क अधिकारी राम विजय सिंह के मुताबिक हड़ताल के चलते 80 फीसदी कर्मचारी अनुपस्थित रहे। 20 फीसदी कर्मचारियों से कोयला उत्पादन व प्रेषण का कार्य किया गया। पीआरओ ने बताया कि गुरुवार की प्रथम पाली में एनसीएल ने लगभग 18500 टन कोयला उत्पादन किया। इस दौरान कंपनी द्वारा किए जाने वाले कोयला प्रेषण भी आंशिक रूप से प्रभावित रहा। गुरुवार को प्रथम पाली में एनसीएल ने लगभग 60600 टन कोयला डिस्पैच किया। कहा कि हड़ताल के दौरान कोई भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।