सिंगरौली. प्रदेश सरकार जहां स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक हासिल करने वाले जिलों में कर्मचारियों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। वहीं जिले में सर्वेक्षण के मद्देनजर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले कर्मचारियों का पारिश्रमिक तक हजम कर लिया जा रहा है। कलेक्ट्रेट में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे युवाओं की कुछ ऐसी ही शिकायत है। सोसाइटी को ही करना है पेमेंट स्वच्छता सर्वेक्षण के मद्देनजर अगस्त व सितंबर में स्वच्छता प्रेरक के रूप में घर-घर सर्वे करने वाले युवाओं की माने तो उन्हें सर्वे के लिए हर महीने साढ़े सात हजार रुपए पारिश्रमिक के रूप में दिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन सर्वे कार्य पूरा होने के बाद से उन्हें आज नहीं कल कह कर कई महीनों से टाला जा रहा है। युवाओं के मुताबिक उनसे विंध्यांचल सोसाइटी के माध्यम से सर्वे कराया गया था। भुगतान सोसाइटी के जरिए ही किया जाना है। फिलहाल संसदीय चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू होने के चलते मंगलवार को न ही जनसुनवाई हो सकी और न ही वह अधिकारी के समक्ष अपनी फरियाद प्रस्तुत कर सके। युवाओं को निराश वापस लौटना पड़ा। सुनवाई में पहुंचे लोग निराश लौटे इधर, आचार संहिता लागू होने के चलते जनसुनवाई स्थगित कर दी गई है। इस जानकारी से वंचित भारी संख्या में लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे। काफी देर तक लोगों ने इस उम्मीद में इंतजार किया कि संभव है कि सुनवाई हो जाए, लेकिन बाद में उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ा। अधिकारियों ने चुनाव आयोग के आदेश का हवाला देते हुए जनसुनवाई से इंकार कर दिया।