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मिलावट का जोर, बीमारियों की सौगात, पनीर, मावा, घी, मिठाई में मिलावट,

शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में लिए 265 में से 41 सैम्पल फेलसैम्पल लेने में सीकर का प्रदेश में दूसरा स्थान

सीकरMar 23, 2022 / 06:25 pm

Puran

जिले में बढ़ा मिलावट का कारोबार

जिले में बढ़ा मिलावट का कारोबार,


सीकर। प्रदेश में भले ही शुद्ध के लिए युद्ध अभियान जोरों से चल रहा हो लेकिन मिलावट करने वाले आमजन की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं इसकी बानगी है कि सीकर जिले में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में लिए गए सैम्पल में से 41 सैम्पल जांच में फेल हो गए हैं। चिंताजनक बात है कि इन सेम्पल में मावा, मावा से बनी मिठाई और घी व पनीर शामिल है। चिकित्सा विभाग ने इन मिलावट करने वालों को 30 दिन का समय दिया है। इसके बाद इन लोगों के खिलाफ खाद्य एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। अभियान के दोरान खाद्य वस्तुओं के अब तक 265 सेम्पल लिए गए थे। जिनमें से 171 सेम्पल की रिपोर्ट आ गई है। आमजन को शुद्ध खादय पदार्थ पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए जिले में एक जनवरी से छह विभागों के संयुक्त निर्देशन में तीन माह तक चलने वाला पहली अभियान शुरू हुआ था।
खाटूमेले की जांच रिपोर्ट नहीं
खाटूमेले के दौरान चिकित्सा विभाग की टीम ने 51 सैम्पल लिए थे लेकिन इन सेम्पल की अब तक रिपोर्ट तक नहीं आई है। जिसका नतीजा है कि हर बार की तरह इस बार भी मेले की रिपोर्ट नहीं आने से मेले में आए हजारों लोग मिलावटी खाद्य सामग्री खा चुके हैं। अब मेले में लिए लिए गए सैम्पल फेल भी हो गए तो मिलावट करने वालों पर कार्रवाई कर पाना बेहद मुश्किल है।
सीकर प्रदेश में दूसरे स्थान पर
एफएसओ रतन गोदारा ने बताया कि प्रदेश स्तर पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत 1500 सैम्पल लेने थे साथ ही मोबाइल चल प्रयोगशाला में सात हजार नमूने लेने का लक्ष्य तय किया था। जिसकी एवज में सीकर जिले को हर माह साठ सैम्पल लेने का लक्ष्य दिया गया था। जिसके तहत जिला 265 सैम्पल लेकर प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। मिलावट पर रोकथाम के लिए नेटवर्क के जरिए सैंकडो किलो मिठाई व अन्य खादय सामग्री को नष्ट करवाया गया है।
सेहत के लिए घातक मिलावट करने वाले मिठाई या अन्य खाद्य सामग्री में स्कीमड मिल्क व मसालों में लेड जैसे घातक रसायनों का इस्तेमाल करते हैं। जिसके कारण सेहत पर सीधा असर पड़ता है। कई बार तो यह कैंसर, एलर्जी व पेट में गंभीर संक्रमण का कारण बन जाता है। समय रहते चिकित्सक से सलाह या उपचार नहीं करवाने पर जान पर भी बन जाती है। इसके अलावा मुनाफा कमाने के चक्कर में गुलाब जामुन जैसी कई मावा निर्मित मिठाई को देसी घी की बजाए रिफाइंड तेल में तलते हैं जो कि फूड प्वाइजनिंग का कारण बन जाती है।

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