घर पर ही उपचार: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई लोगों को बेड नहीं मिल सके। कई लोग अस्पताल जाने के चक्कर से बचने के लिए घरों में ही उपचार लेते रहे। ऐसे लोगों की मौत का आंकड़ा चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट में शामिल नहीं हो सका। इस तरह के सीकर के ग्रामीण क्षेत्रों में कई उदाहरण है। इसके अलावा कई लोगों की मौत दूसरे शहर व राज्य में होने पर चिकित्सा विभाग की सूची में इनके नाम शामिल नहीं हुए।
विभाग की ओर से सीकर जिले 229 विधवाओं को एक-एक लाख रुपए की राशि एकमुश्त दी है। हर महीने पेंशन के तौर पर 1500 रुपए की राशि दी जाएगी।
जिले में 198 ऐसे बालक-बालिका है जिनके माता या पिता की कोरोना से मौत हुई है। ऐसे बच्चों को विभाग की ओर से एक हजार रुपए का सहयोग हर महीने दिया जाएगा। इसके अलावा साल में एक बार ड्रेस, किताब आदि के लिए दो हजार रुपए की राशि दिए जाने का प्रावधान है।
सीकर जिले में तीन अनाथ बच्चों ने भी आवेदन किया है। इन तीन बच्चों के माता या पिता की पहले मौत हो गई। एक की अब कोरोना में मौत हो गई। इन बच्चों के लिए एक-एक लाख रुपए तत्काल स्वीकृत किए गए है। जबकि पांच-पांच लाख रुपए की सहायता इन बच्चों के 18 साल की आयु पूरी करने पर दी जाएगी।
जिन लोगों के पास कोरोना की रिपोर्ट नहीं थी उनके उपचार के आधार पर भी सहायता राशि स्वीकृत की है। हमारा पूरा फोकस पीडि़त परिवारों को सम्बल देने पर है।
अविचल चतुर्वेदी, जिला कलक्टर
ओमप्रकाश राहड़, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग