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सीकर

6 देशों में इसलिए छा गए राजस्थान के ये पति-पत्नी, सबको इन पर गर्व

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सीकरAug 08, 2018 / 12:44 pm

vishwanath saini

sikars Kana lomror won International Enamel Art Festival symposium

sikars Kana lomror won International Enamel Art Festival symposium

सीकर. लोसल के स्थित जाना गांव के काना लोमरोर व उनकी पत्नी कविता लोमरोर ने इंटरनेशनल इनैमल आर्ट सिम्पोजियम में पहला स्थान प्राप्त किया है। राजस्थान सरकार ने काना व उनकी पत्नी को इस प्रतियोगिता में भेजा था। इन्होंने सिम्पोजियम में शामिल हुए छह देशों के 14 कलाकारों को मात दी।

सिम्पोजियम में विश्व के सात देश रोमानिया, यूक्रेन, हंगरी, पॉलेंड, जर्मनी व भारत सहित 16 आर्टिस्टों ने भाग लिया। हंगरी के केस्क्सकेमेट शहर में आयोजित 44वें इंटरनेशनल इनैमल आर्ट सिम्पोजियम में 21 दिन तक कलाकारों ने मीनाकारी की कई प्रदर्शनियां तैयार की।

sikars Kana lomror won International Enamel Art Festival symposium

प्रदर्शन के फाइनल मुकाबले में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे काना व उनकी पत्नी कविता की मीनाकारी ने सभी का मन जीत लिया। इंटरनेशलन कटेम्परेरी आर्ट स्टूडियों ने इन्हें 11 से 29 जुलाई तक चले सिम्पोजियम के लिए निमंत्रण दिया था। खास बात यह है कि काना व कविता तांबे पर मिनकारी करने वाले देश में पहले आर्टिस्ट हैं।

फैशन डिजायनर पत्नी को भी बनाया आर्टिस्ट

शादी से पहले कविता फैशन डिजायनर थी लेकिन काना ने उसे भी आर्टिस्ट बना दिया। अब वह भी मीनाकारी ही करती है। काना का जन्म 1976 में लोसल के जाना गांव में हुआ।

राजस्थान विश्वविद्यालय से कला के क्षेत्र में डिग्री हासिल की। उसके बाद पश्चिम बंगाल से स्नात्तकोतर किया। उनके माता-पिता गांव में रहते है। 2006 में हरियाणा की कविता से शादी हुई। कविता का जन्म मुम्बई महाराष्ट्र में 26 मई 1981 में हुआ। इनके पिता इंडियन नेवी में तैनात थे। फिलहाल दोनों पति पत्नी अपनी दो बेटियों के साथ जयपुर झोटवाड़ा में रहते है।

 

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तांबे पर मीनाकारी करने वाले एकमात्र कलाकार
काना का कहना है कि सोने चांदी के आभुषणों में मीनाकारी करने वालों की संख्या देश में बहुत हैं। लेकिन हमने तांबे के पर मीनाकारी कर विश्व में पहचान बनाई है। आज कला के क्षेत्र में भविष्य उज्जवल है हम दूसरी बार हंगरी गए थे। इस बार राजस्थान सरकार आर्ट एडं कल्चर डिपार्टमेंट के खर्चे पर 21 दिन हंगरी रहने का मौका मिला। इनैमल आर्टवर्क का इतिहास बहुत पुराना है। 18वीं शताब्दी से ही यह चलन में हैं।

 

वहीं जयपुर इस आर्टवर्क में खास पहचान रखता है। गोल्ड और सिल्वर ज्वैलरी में इनैमलिंग के लिए जयपुर दुनिया का बिगेस्ट सेंटर माना जाता है। इन दिनों इस ट्रेडिशनल आर्ट में मॉडर्न टेक्नोलॉजी का यूज भी किया जा रहा है। आर्ट मेरी आर्टिस्टिक स्किल्स को एक्सप्लोर करने का शानदार माध्यम है। वर्कशॉप में जाकर इस आर्ट की कई नई टेक्निक जानने का मौका मिला।

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