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सीकर

#campaign: 12वीं सदी की धरोहर हर तरफ बिखरी, नहीं है मूर्तियों की सार-संभाल, आप भी जानिए अनदेखी का शिकार हमारा हर्ष पर्वत…

हर्ष पर्वत पर 12वीं शताब्दी के मंदिर की खण्डित मूर्तियां चारों और फैली हैं। यहां कई जगह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के बोर्ड भी लगाए गए हैं, लेकिन मूर्तियों की सार-संभाल करने वाला कोई नहीं है।

सीकरJul 07, 2017 / 02:23 pm

dinesh rathore

हर्ष पर्वत पर 12वीं शताब्दी के मंदिर की खण्डित मूर्तियां चारों और फैली हैं। यहां कई जगह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के बोर्ड भी लगाए गए हैं, लेकिन मूर्तियों की सार-संभाल करने वाला कोई नहीं है। पुराने शिव मंदिर के पास कई जगह खण्डित मूर्तियों के अवशेष पड़े हैं तो कई आधे टूटे मंदिर के बाहर पड़ी हुई हैं। धरोहर को संरक्षित करने का दावा भी यहां बेमानी साबित हो रहा है।
कैसे ठहरे कोई… 

हर्ष पर्वत पर सुविधा बढ़ाने तथा इससे होने वाली आय से यहां विकास की बात सरकारी आंकड़ों में भी समझ से परे है। यहां आने वाले पर्यटक को खाने के लिए तरसना पड़ता है। अपने साथ पर्यटक खाने के लिए कुछ लेकर आये तो ठीक नहीं तो यहां आकर खाने की व्यवस्था मुश्किल है।
रात होते ही..-बढ़ती हैं धड़कन

हर्ष पर्वत की ऊं चाई अधिक होने तथा पवन चक्की के साथ सनसेट को देखने तथा बरसात के सुहाने मौसम में बादलों के बीच रिमझिम बरसात का आनंद लेने के लिए लोगों की शनिवार व रविवार को भीड़ लगी रहती है। शाम को सूरज ढलने के साथ पर्यटकों की धड़कने भी बढऩे लगती है। 
श्रावण माह में बढ़ जाती है संख्या 

हर्ष पर्वत पर श्रावण माह में शिव मंदिर में पूजा करने के साथ वन सोमवार व रविवार को लोगों की भीड़ रहती है। लोग परिवार सहित ही हर्ष पर पहुंच कर वन सोमवार का व्रत पूरा करते है। श्रावण में रविवार को यहां चूरमा दाल बाटी के साथ गोठ का आनंद लेते है। सीकर सहित चूरू, झुंझुनूं व नागौर तथा जयपुर से भी लोग यहां आते है।
…और बदलती गईं प्राथमिकता

हर्ष पर्वत नई सत्ता के साथ जनप्रतिनिधियों की घोषणा का शिकार बनता रहा है। सत्ता बदलने के साथ ही हर्ष पर्वत के लिए अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता भी बदल जाती है। अधिकतर घोषणाए महज कागजी साबित हुई है। हर्ष पर्वत पर रोप-वे बनाने के लिए सर्वे शुरू होने, यहां औषधीय पादप विकसित करने तथा पर्यटकों के रहने व ठहरने के लिए रेस्टोरेंट की बातें तथा नीचे तलहटी के पास बसे गांवों को भी विकास से जोडऩे की बात कई दफा की गई।

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