दावा है कि जिले में इस वित्तीय वर्ष में यह पहला निशुल्क कॉकलियर इप्लांट का ऑपरेशन है। चिकित्सा विभाग की ओर से ऐसे परिवार, जिनके यहां जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चे हैं और वे इलाज करवाने में असमर्थ हैं, उनके लिए राष्ट्रीय बाल सुधार कार्यक्रम के तहत स्क्रीनिंग कर इलाज करवाया जाएगा। कार्यक्रम के तहत जिले में चार माह में जन्मजात विकृति वाले 19 बच्चों के लाखों रुपए के ऑपरेशन निशुल्क करवाए गए हैं।
स्क्रीनिंग में हुई पहचान
राष्ट्रीय बाल सुधार कार्यक्रम के तहत कूदन ब्लॉक की टीम ने बिसायतियान मोहल्ला में स्क्रीनिंग की। स्क्रीनिंग में पता चला कि चार साल का रूहान पुत्र समीर जन्म से मूक बधिर है और कॉकलियर इप्लांट के बाद इस बच्चे की सुनने और बोलने की क्षमता लौट सकती है। इस पर टीम ने
सीएमएचओ और आरसीएचओ कार्यालय को इसकी सूचना दी। इसके बाद रूहान को कॉकलियर इप्लांट के लिए जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भेजा गया।
तीन माह की स्पीच थैरेपी जरूरी
कॉकलियर इप्लांट में चिकित्सक मूक बधिर बच्चे के कान के पीछे एक चीरा लगाते हैं और इलेक्ट्रोड को कॉक्लिया के पास रखा जाता है। जिसमें इप्लांट रखा जाता है। ऐसे ऑपरेशन के बाद स्पीच थैरेपी करवाई जाती है। जिससे बच्चा अलग-अलग प्रकार की आवाजों को पहचानने लगे और बोलना सीख सकें। इस प्रकार के ऑपरेशन पर निजी अस्पतालों में करीब आठ से नौ लाख रुपए खर्च होते हैं।