विधानसभा क्षेत्र नीमकाथाना: बाजौर को फिर मौका
सै निक सम्मान यात्रा के जरिए आलाकमान तक अपनी अलग पहचान बनाने वाले बाजौर फिर से टिकट लाने में सफल रहे। यहां पार्टी के पास कोई मजबूत दावेदार भी नहीं था। ऐसे में पार्टी ने फिर से बाजौर के नाम पर मुहर लगाई है। इसके साथ ही बाजौर के अन्य सीट से चुनाव लडऩे की चल रही अटकलों पर ब्रेक लग गया है। टिकट की घोषणा होते ही नीमकाथाना स्थित बाजौर के पर कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: व्यवसाय
सोशल मीडिया: फेसबुक पेज पर 73 हजार से ज्यादा लाइक्स, ट्विटर पर भी जुड़े है फॉलोवर।
पहचान: शहीद परिवार व किसानों के संघर्ष करने वाले जमीनी नेता।
अनुभव: प्रदेश में दो बार सैनिक कल्याण बोर्ड की जिम्मेदारी।
पांच साल सक्रियता: बाजौर लगातार इलाके में सक्रिय रहे। सैनिक कल्याण यात्रा के जरिए इस बार अपनी अलग पहचान बनाई।
विधानसभा क्षेत्र श्रीमाधोपुर: खर्रा फिर मैदान में
किसान नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले खर्रा को फिर मौका मिला है। आरएसएस खेमे की वजह से खर्रा पहली सूची में जगह बनाने में सफल रहे। उनका टिकट पहले से ही तय माना जा रहा था। यहां भी भाजपा के पास कोई मजबूत दावेदार नहीं था। यहां पिछले चुनाव में खर्रा ने जीत हासिल की थी। खर्रा 13 या 14 को नामांकन दाखिल करेंगे। टिकट की घोषणा होने के बाद इलाके में भाजपाईयों ने जश्न मनाया।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: खेती
सोशल मीडिया: फेसबुक पेज पर 78 हजार लाइक्स, ट्विटर पर कम सक्रिय।
पहचान: किसानों के संघर्ष करने वाले जमीनी नेता।
अनुभव: श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के प्रधान भी रह चुके है। इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा भी पहुंचे।
पांच साल सक्रियता: भाजपा जिलाध्यक्ष रहते संगठन के साथ कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ बनाई। पांच साल इलाके में सक्रिय रहे। आरएसएस से नजदीकी का फायदा।
विधानसभा क्षेत्र दांतारामगढ़: हारे पर जताया भरोसा
पिछले चुनाव में हार की कसम पूरी करने के लिए पार्टी ने फिर से हरीश कुमावत पर दांव खेला है। यहां दस से अधिक दावेदार थे, लेकिन संगठन ने मजबूत दावेदारी हरीश कुमावत की मानते हुए फिर से चुनावी मैदान में उतार दिया है। पिछले चुनाव मेें वह काफी करीबी मुकाबले में कांग्रेस के नारायण सिंह से हार गए थे। आरएसएस व मुख्यमंत्री खेेमे से जुड़ाव का फायदा मिला है।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: खेती और व्यवसाय
सोशल मीडिया: फेसबुक पेज पर 40 हजार से लाइक्स, ट्विटर पर काफी कम सक्रिय।
पहचान: किसान व समाजिक कार्यक्रमों के जरिए
अनुभव: चार दफा विधायक, पालिकाध्यक्ष व माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष।
पांच साल सक्रियता: दांतारामगढ़ क्षेत्र से हार के बाद भी इलाके में लगातार सक्रिय रहे। क्षेत्र में हुए कार्यक्रमों के साथ पार्टी की गतिविधियों में हुए शामिल। इसका फायदा कुमावत को मिला है। आलाकमान ने इसलिए फिर से हरीश कुमावत को चुनावी मैदान में उतारा है।
विधानसभा क्षेत्र धोद: गोरधन वर्मा पर पार्टी ने फिर से खेला दांव
पिछले चुनाव में युवा चेहरे के जरिए सीकर जिले की सियासत में सामने आए। पार्टी के बाद वर्मा से मजबूत दावेदार नहीं होने के कारण यहां भी दुबारा भरोसा जताया है। एक नाम कतार में और था, लेकिन पार्टी ने विधायक की कार्यशैली और जनता की पकड़ को ठीक मानते हुए दुबारा मौका दिया है। विधायक का कहना है कि पुराने विकास कार्यो को लेकर जनता के बीच में जाएंगे।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: खेती
सोशल मीडिया: फेसबुक पेज पर 76 हजार से ज्यादा लाइक्स, ट्विटर पर कभी-कभी सक्रिय।
पहचान: युवा व किसानों के मुद्दों के जरिए पहचान बनाने में सफल रहे।
अनुभव: धोद क्षेत्र के प्रधान रहे। पिछली बार विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे।
पांच साल सक्रियता: संगठन में बड़ी जिम्मेदारी होने के बाद भी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे।
विधानसभा क्षेत्र खंडेला: विवादों के बाद भी पार्टी ने जताया भरोसा
चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही यहां विरोध की सियासत शुरू हो गई। लेकिन पार्टी ने आखिरकार सर्वे को आधार मानते हुए बाजिया पर फिर से विश्वास जताया। ऐसे में बाजिया विरोध की लपटों के बीच से टिकट लाने में सफल रहे। बाजिया के सामने अब चुनौती विरोधी को मनाने की रहेगी। रविवार देर रात जैसे ही टिकटों की घोषणा हुई तो कार्यकर्ताओं ने मुख्य बाजारों में जमकर आतिशबाजी की।
प्रत्याशी का ‘आधार’
चु नावी रणभेरी बजने के साथ ही यहां विरोध की सियासत शुरू हो गई। लेकिन पार्टी ने आखिरकार सर्वे को आधार मानते हुए बाजिया पर फिर से विश्वास जताया। ऐसे में बाजिया विरोध की लपटों के बीच से टिकट लाने में सफल रहे। बाजिया के सामने अब चुनौती विरोधी को मनाने की रहेगी। रविवार देर रात जैसे ही टिकटों की घोषणा हुई तो कार्यकर्ताओं ने मुख्य बाजारों में जमकर आतिशबाजी की।
विधानसभा क्षेत्र मंडावा: दोनों पार्टियों को हराने वाले निर्दलीय नरेन्द्र कुमार को मिला टिकट
मंडावा. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों को हराने वाले नरेन्द्र कुमार खींचड़ पर भाजपा ने विश्वास करते हुए मंडावा से प्रत्याशी घोषित किया है। प्रत्याशी घोषित होते ही उसके समर्थकों में खुशी छा गई। रात को ही पटाखे छोड़े गए व मिठाई बांटी गई।
कमालसर गांव के रहने वाले नरेन्द्र कुमार एक चुनाव हार चुके जबकि एक जीत चुके। वे प्रधान भी रह चुके। पिछले चुनावों में वे निर्दलीय खड़े हुए थे, लेकिन जीत के बादभाजपा को समर्थन दिया था। इस पर उनके क्षेत्र में सरकारी कॉलेज भी खुली थी। पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा के सलीम तंवर व कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ चंद्रभान को हराया था। मुख्य मुकाबला दोनों निर्दलीय रीटा चौधरी व नरेन्द्र के बीच था।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: खेती और स्कूल से
सोशल मीडिया: फेसबुक पेज व अन्य सोशल साइट्स पर एक्टिव
पहचान: किसानों के संघर्ष करने वाले जमीनी नेता।
अनुभव: विधायक रहे चुके। प्रधान रहे चुके। स्कूल चलाने का अनुभवन
अक्सर कहां मिलते हैं: इंडियन रीको ओद्योगिक क्षेत्र स्थित खुद के निजी आवास या मंडावा विधानसभा क्षेत्र के किसी गांव या कस्बे में।
विधानसभा क्षेत्र खेतड़ी : दाताराम का टिकट कटा, धर्मपाल पर जताया भरोसा
खेतड़ी. टिकट मिलने के बाद इंजीनियर धर्मपाल गुर्जर ने कहा कि जनता ने जीतने का मौका दिया तो सेवा करूंगा। क्षेत्र के विकास मे कोई कमी नहीं छोड़ूंगा। क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ पानी की गंभीर समस्या है। पानी से वंचित गांव-ढाणियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जाएगा। गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ-साथ इनके पिता रामकुमार गुर्जर को सामाजिक क्षेत्र में शहीद का दर्जा प्राप्त है।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: कृषि
पहचान: परिवार में चाचा मालाराम गुर्जर तीन बार विधायक व चचेरा भाई दाताराम गुर्जर एक बार खेतड़ी से विधायक रहे हैं।
अनुभव: 2008 में भाजपा की टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ा तथा 2013 में भाजपा के बागी के रुप से निर्दलीय चुनाव लड़ा।
विधानसभा क्षेत्र सूरजगढ़: सुभाष पूनिया पहली बार
हालांकि विधायक का चुनाव पहली बार लड़ रहे है। लेकिन जनता ने मौका दिया तो क्षेत्र में नहर का पानी। कस्बे में सरकारी कालेज की मांग को पूरा करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा किसानों से संबंधित समस्याओं व क्षेत्र के विकास में पूरा प्रयास करेंगे। कस्बे के लोगों को यातायात के साधनों के लिए निजी वाहनों पर निर्भर रहना पड़ता है। क्षेत्र में रोडवेज की सुविधा शुरू करवाई जाएगी।
विधानसभा क्षेत्र पिलानी: सुंदरलाल ने खुद की जगह बेटे को दिलाया टिकट
पिलानी, विधानसभा क्षेत्र से पिता सुंदरलाल विधायक व एससी आयोग के चेयरमैन हैं। कई सालों से भाजपा से राजनीति में सक्रिय हैं और क्षेत्र में मजबूत पकड़ के बलबूते पर चुनाव जीतते आए हैं। परंतु उम्र अधिक होने के कारण इस बार पिता ने चिड़ावा से प्रधान अपने बेटे कैलाश मेघवाल को चुनावी मैदान में उतारा है।
प्रत्याशी का ‘आधार’
आमदनी: राजनीति
सोशल मीडिया: फेसबुक पेज पर बड़ी संख्या में लाइक्स, ट्विटर पर फॉलोवर।
पहचान: पिता सुंदरलाल राजनीति के आका माने जाते हैं। कई सालों से राजनीति में हैं। ऐसे में क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जा रही है।
अनुभव: वर्तमान में चिड़ावा प्रधान तथा इस बार विधानसभा से दावेदारी जताई