बाद में आधे परिवादी कर लेते हैं राजीनामा
दर्ज हुए 5782 मुकदमों में लूट, अपहरण, दुष्कर्म का प्रयास सहित मारपीट के कई ऐसे मामले जांच में सरासर झूठे निकले। महिला थाने के एसएचओ शब्बीर खान का कहना है कि दहेज के प्रकरणों में ज्यादातर महिलाएं व उनके परिजन तैश में आ जाते हैं और मुकदमे दर्ज करा देते हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि बाद में समझाइश के कारण 50 फीसदी मामलों में दोनों पक्षों में राजीनामा हो जाता है।
उल्टा भी पड़ सकता है मामला
परिवादी की ओर से यदि थाने पर आकर मुकदमा दर्ज कराया जाता है और वह पुलिस की जांच में झूठा निकलता है तो परिवादी के खिलाफ भी 182 आईपीसी की धारा में मुकदमा दर्ज हो सकता है। परिवादी अगर कोर्ट इस्तगासे के जरिए मुकदमा दर्ज करवाता है और फर्जी पाया जाता है तो आईपीसी की धारा 211 के तहत परिवादी पर कार्रवाई के लिए कोर्ट कार्रवाई कर सकता है। शहर कोतवाल महावीर सिंह राठौड़ ने बताया कि ऐसे 12 मामले हैं। जिनमें परिवादी के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश कोतवाली पुलिस द्वारा की जा चुकी है।
दर्ज मुकदमे
हत्या
46
हत्या का प्रयास
25
लूट
15
अपहरण
162
दुष्कर्म
89
नकबजनी
157
चोरी
819
दहेज व अन्य अपराध
4202
झूठे मुकदमों के कारण पुलिस का समय व उसकी एनर्जी बेवजह खराब होती है। इससे अपराध से जुड़े दूसरे मसले भी प्रभावित होते हैं। हालांकि न्यायालय द्वारा शपथ पत्र अनिवार्य कर देने से उसके गलत निकलने पर न्यायालय स्वयं मुकदमा दर्ज कराने वाले पर कार्रवाई कर सकता है। -विनीत कुमार, एसपी, सीकर