सत्ता के खिलाफ बढ़ रही धरने, प्रदर्शन की गतिविधियों से बौखलाई सरकार के इशारे पर पुलिस महानिदेशक ने प्रदेशभर की पुलिस के नाम एक अनूठा फरमान जारी किया है। पांच जनवरी 2018 को जारी किए गए इस पत्र में उल्लेख किया गया है प्रत्येक कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि किसी एेसे आंदोलन या गतिविधि में जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को उलटने में लगी हो, उसमें अपने परिवार के किसी भी सदस्य को भाग लेने, चंदा देने या अन्य प्रकार से मदद करने के लिए वह उसे रोकने का भरकस प्रयास करेगा।
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यदि वह बावजूद इसके असमर्थ साबित हो जाए तो अपने एेसे परिवार के सदस्य के बारे में वह सरकार को सूचना देगा। ताकि सरकार के खिलाफ घर के भेदी का पता लगाया जा सके और उसके खिलाफ संबंधित कार्रवाई को अमल में लाया जा सके। पुलिस महानिदेशक ओपी गल्होत्रा ने प्रदेश के पुलिस अधीक्षकों को आदेश जारी किए हैं कि निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाए।
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पुलिस थानों व कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर प्रदत्त निर्देशों को चस्पा कर अधीनस्थ कर्मियों को इससे अवगत कराया जाए। क्योंकि पुलिस मुख्यालय के ध्यान मे आया है कि कुछ पुलिसकर्मियों के द्वारा सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप तथा ट्विटर आदि पर राजनीतिक संदेश फारवर्ड किए जा रहे हैं। जो कि, पुलिस नियमों का उल्लंघन है और दुराचार की श्रेणी में आता है। हैं।
एेसे में पुलिस का कोई भी कर्मचारी किसी राजनैतिक दल या संगठन का सदस्य नहीं बनेगा। न ही किसी राजनैतिक आंदोलन या गतिविधि में भाग लेगा यहां तक की सहायता के लिए चंदा भी नहीं दे सकेगा। परिवार का सदस्य भी यदि इस प्रकार की गतिविधि में शामिल होता है तो उसे भरकस प्रयास कर रोका जाए और उसके नहीं मानने पर बाद में सरकार को बता दिया जाए। जिसका निर्णय खुद सरकार अपने स्तर पर करेगी।
प्रतिकूल प्रभाव
कोई भी कार्मिक स्वयं के नाम, उपनाम या बिना नाम दिए बगैर प्रेस या किसी सार्वजनिक भाषण तथा संवाद में एेसा कुछ नहीं कहेगा। जिसका केंद्र या राज्य सरकार की वर्तमान, नई नीति या कार्यवाही पर प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव पड़ता हो। या फिर सरकारों के बीच संबंधों में उलझन पैदा करते हो। सोशल मीडिया पर जारी संदेशों को अनुचित मानते हुए उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।