गणेश्वर धाम में गर्म पानी के कुंड की खास बात यह भी है कि यहां सर्दियों में भी पानी गर्म ही रहता है। टेंपरेचर माइनस में होने पर भी पानी की गर्माहट में कमी नहीं आती। पानी का तापमान यहां औसत 35 डिग्री ही रहता है। ऐसे में सर्दियों में भी तीर्थ यात्रियों की संख्या यहां कम नहीं होती।
ऋषि गालव की तपस्या से गर्म पानी के उद्गम वाले इस तीर्थ को लेकर यह भी कहा जाता है कि करीब 200 साल पहले इस गर्म कुंड में पानी आना बंद हो गया था। इस पर यहां एक यज्ञ करवाया गया। जिसकी पूर्णाहुति के बाद कुंड में फिर से गर्म पानी आना शुरू हुआ।
गणेश्वर धाम में देवी देवताओं के बहुत से मंदिर हैं। जिस पहाड़ का यह हिस्सा है, वह खोखला व शास्त्रविदों के अनुसार सुमेरु पर्वत का हिस्सा बताया जाता हैं। मान्यता के मुताबिक ऋषि गालव के आदेश पर राजा रायसलसिंह ने यह गांव बसाकर यहां भगवान गणेश की आराधना की थी। इसी से यह पूरा गांव गणेश्वर कहलाया। गणेश्वर को ताम्रयुगीन सभ्यता का जनक कहा जाता है। राजस्थान राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के पूर्व निदेशक आरसी अग्रवाल व विजय कुमार की अगुआई में 1978 से 1988 के बीच प्राचीन गणेश्वर सभ्यता को खोजा गया था। जिसमें ताम्र युगीन सभ्यता के अवशेष मिले थे।