पारंपरिक मान्यता व कहावतों के अनुसार गर्मी के मौसम में यदि खेजड़ी पर सांगरी भरपूर लगे तो ये सुकाल का संकेत है। क्योंकि सांगरी लगने का अर्थ पेड़- पौधों व फसलों के लिए अनुकूल मौसम के रूप में लिया जाता रहा है। इसके विपरित सांगरी की बजाय खेजड़ी पर बेर के आकार की गांठे पड़े तो वह प्रतिकूल मौसम के साथ अकाल का संकेत माना गया है।
एक्सपर्ट व्यू: पुष्पन के समय बिजली कडकऩे से होती है गांठे
गर्मियों के मौसम में खेजड़ी पर होने वाली गांठे फू्रट गाल कहलाती है। ये पौधों का एक रोग है जो सीसीडोजोआ प्रकार की दीमक से होता है। खेजड़ी पर मिजर (पुष्पन) के समय बिजली कडकऩे या मेघ गर्जन से पुष्प इन गालनुमा गरेड़ो में परिवर्तित हो जाते हैं। ऐसे में इन पर सांगरी का उत्पादन बंद हो जाता है। शेखावाटी सहित कई इलाकों में इन दिनों खेजड़ी पर फू्रट गाल दिखाई दे रहे हैं, जो शुभ संकेत नहीं है। कृषि प्रधान प्रदेश में ये चिंता का विषय है।