सीकर. जब-जब भी पाक ने अपने नापाक इरादों से हिन्दुस्तान की सरजमीं की तरफ आंख उठाकर देखा है तब-तब हमारे बहादुर फौजियों ने उसे धूल चटाई है। बात चाहे किसी भी युद्ध की हो, हर बार शेखावाटी के फौजियों ने भी अदम्य साहस दिखाया है। आज 16 दिसम्बर 2017 को भारत-पाक युद्ध 1971 की जीत के उपलक्ष्य में देशभर में विजय दिवस मनाया जा रहा है।
171 बेटों ने दी शहादत शेखावाटी के घर-घर में फौजी हैं। हर युद्ध में यहां के फौजियों का उत्साह देखते बनता है। भारत-पाक 1971 के युद्ध में शेखावाटी के हजारों सैनिकों ने हिस्सा लिया। इनमें से 171 बेटे वीरगति को प्राप्त हुए। इस युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों में झुंझुनूं के 107, सीकर के 48 और चूरू जिले के 12 सैनिक थे। वर्ष 1965 व 1999 के युद्धों से भी ज्यादा शहीद भारत-पाक 1971 के युद्ध में हुए।
चूरू के तीन मुस्लिम बेटों ने भी दी शहादत भारत-पाक 1971 युद्ध में शहीद हुए सैनिकों में चूरू शहर के तीन अल्पसंख्यक समुदाय से थे। नई सडक़ निवासी जीडीआर मन्नू खां, अगुणा मोहल्ला निवासी जीडीआर अश्कअली खां व ईदगाह मोहल्ला निवासी अलादीन खां थे। इनके अलावा राजगढ़ के बुंगी निवासी राइफल मैन छगनसिंह, हमीरवास के सिपाही दलीपसिंह, इन्दासर के नायक भगवानसिंह, न्यांगलबड़ी के दरियासिंह ने भी देश के लिए कुर्बानी दे दी। इनके अलावा जसवंतपुरा के सिपाही हरफूल, चूरू तहसील के गांव लादडिय़ा निवासी जीडीआर रामकुमार सिंह, जसरासर निवासी राइफल मैन निरंजनसिंह, सुजानगढ़ के शोभासर निवासी सिपाही हणुताराम व खुड़ी निवासी राइफल मैन केशरदेव शहीद भी हो गए थे।
भारत-पाक युद्ध 1971 की कुछ खास बातें -भारत-पाक युद्ध 1971 युद्ध को बांग्लादेश युद्ध भी कहा जाता है। -13 दिन के युद्ध के बाद पाकिस्तान ने ढाका में आत्मसम्र्पण कर दिया। -इसी युद्ध की बदौलत बांग्लादेश को अलग देश का दर्जा मिला। -16 दिसम्बर को हिन्दुस्तान में शौर्य के प्रतीक के रूप में यह दिवस मनाया जाता है। -युद्ध की शुरुआत तीन दिसम्बर 1971 को हुई थी। -पूरे युद्ध में भारत के करीब चार हजार सैनिक शहीद हुए थे।
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