धोरों की धरती के लाल ने घुड़सवारी में देश में नहीं ओलम्पिक में भाग लेकर शेखावाटी का नाम रोशन किया है। घुड़सवारी सीखा रहे लक्ष्मणगढ़ इलाके के जाजोद गांव में चैन सिंह की ढाणी के विशाल सिंह पिछले 20 वर्ष से बेटियों की प्रतिभाओं को तरासने का काम कर रहे है। विशाल सिंह से घुड़सवारी का गुर सीखी बेटियों ने देश में ही नहीं विदेश तक भारत का नाम रोशन किया है। विशाल ने बेटियों के साथ भारतीय सेना में भी 28 वर्ष तक घुड़सवार तैयार किए है।
कई पदक जीत कर किया नाम रोशन
विशाल सिंह भारतीय सेना में 1961 में घुड़सवारी दल में शामिल हुआ। वहां से प्रशिक्षण लेकर विशाल सिंह शेखावत ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के पद तक पहुंचे। सेना में रहने के दौरान ही विशाल को 1980 में मॉस्को में आयोजित ओलम्पिक प्रतियोगिता में घुड़सवारी दल में जाने का मौका मिला।
ओलम्पिक में विशाल ने घुड़सवारी प्रतियोगिता में सातवां स्थान प्राप्त किया। उसके बाद 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियन गेम घुड़सवारी में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके अलावा विशाल को 1983 में महाराणा प्रताप अवार्ड व राष्ट्रपति संजीव रेड्डी से 1977 में घुड़सवारी में सम्मानित हो चुके हैं।
बेटियों को आगे बढ़ाने की ठानी तो सबकुछ भूले
बेटियों के लिए कुछ करने का जज्बा लेकर विशाल करीब 22 साल पहले लक्ष्मणगढ़ आ गए। यहां पर निजी स्कूल में कोचिंग के साथ बेटियों को घुड़सवारी के गुर सिखा रहे हैं।