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यहाँ ग्रामीणों ने बदल दी सरकारी स्कूल की रंगत, बना दिया आदर्श

प्रिंसिपल ने स्कूल के विकास के लिए ग्रामीणों से डेढ़ लाख रुपये का सहयोग मांगा तो ग्रामीणों ने चंदा करके छह लाख रुपए दे दिए।

सीकरJan 10, 2018 / 10:04 am

vishwanath saini

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फतेहपुर. सरकारी स्कूलों में सुविधाओं व देखभाल की बात आम हो गई, लेकिन इन्हीं के बीच एक स्कूल ऐसी भी है जिसके लिए ग्रामीण समर्पित है। गांगियासर गांव के ग्रामीणों ने सरकारी स्कूल की काया पलट दी। प्रिंसिपल राजकुमार मिश्रा ने स्कूल के विकास के लिए ग्रामीणों से डेढ़ लाख रुपये का सहयोग मांगा तो ग्रामीणों ने चंदा करके छह लाख रुपए दे दिए। जानकारी के अनुसार 15 अगस्त पर आदर्श ग्राम शिक्षा विकास समिति के साथ हुई बैठक में स्कूल के अच्छे संचालन के लिए सहयोग की अपील की थी।
प्रिंसिपल ने सहयोग राशि से स्कूल में कई विकास कार्य करवा दिए। साइंस व आट्र्स संकाय में संचालित स्कूल में शिक्षकों की कमी थी, ग्रामीणों ने कई बार सरकार से शिक्षक लगाने की मांग भी की, लेकिन सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की। इसके बाद ग्रामीणों ने अपने स्तर पर शिक्षक लगाएं, उन शिक्षकों को तनख्वाह भी देते हैं।
खेल मैदान के लिए दी जमीन
स्कूल में खेल मैदान की कमी बढ़ी खल रही थी, शिक्षा के साथ साथ खेलों में भी दम खम दिखाने के लिए खेल मैदान जरूरी है। खेल मैदान की जमीन उपलब्ध नहीं होने पर ग्रामीणों ने गांव में बैठक कर पंचायत से जमीन दिलवाने की बात कही। इसके बाद सामूहिक रूप से 18 बीघा जमीन स्कूल के खेल मैदान के लिए अलॉट हुई।
अब ग्राउंड पर रनिंग ट्रैक बनाया जा रहा है। स्कूल में डीएफओ राजेन्द्र हुड्डा की ओर दो लाख रुपए की लागत से आरओ प्लांट, विधायक नंद किशोर महरिया के कोटे से दो कमरे बनाएं गए है। अब स्कूल में पन्द्रह किलोवॉट का जनरेटर रतनलाल जांगिड के द्वारा दिया जा रहा है। स्कूल में वाई फाई लगा हुआ है व सीसीटीवी कैमरे भी लगाएं जा रहे हैं।

तीन शिक्षक लगे है ग्रामीणों के सहयोग से
स्कूल में शिक्षक नहीं होने के कारण लगातार नामांकन कम होने लग गया था। विज्ञान संकाय बंद होने के कगार पर पहुंच गया था, इसके बाद ग्रामीणों ने हर हाल में विज्ञान संकाय शुरू रखने का संकल्प लिया। ग्रामीणों ने हर माह 40 हजार रुपए प्रतिमाह देकर तीन शिक्षक लगा लिए, ताकि स्कूल में बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो। इसके अलावा स्कूल में छोटी मोटी सभी तरह की सुविधाएं अपने स्तर पर दे रहे हैं। लगातार डेढ़ साल से शिक्षक लगाकर उनको अपने स्तर पर तनख्वाह भी दे रहे हैं।

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