स्कूल में खेल मैदान की कमी बढ़ी खल रही थी, शिक्षा के साथ साथ खेलों में भी दम खम दिखाने के लिए खेल मैदान जरूरी है। खेल मैदान की जमीन उपलब्ध नहीं होने पर ग्रामीणों ने गांव में बैठक कर पंचायत से जमीन दिलवाने की बात कही। इसके बाद सामूहिक रूप से 18 बीघा जमीन स्कूल के खेल मैदान के लिए अलॉट हुई।
तीन शिक्षक लगे है ग्रामीणों के सहयोग से
स्कूल में शिक्षक नहीं होने के कारण लगातार नामांकन कम होने लग गया था। विज्ञान संकाय बंद होने के कगार पर पहुंच गया था, इसके बाद ग्रामीणों ने हर हाल में विज्ञान संकाय शुरू रखने का संकल्प लिया। ग्रामीणों ने हर माह 40 हजार रुपए प्रतिमाह देकर तीन शिक्षक लगा लिए, ताकि स्कूल में बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो। इसके अलावा स्कूल में छोटी मोटी सभी तरह की सुविधाएं अपने स्तर पर दे रहे हैं। लगातार डेढ़ साल से शिक्षक लगाकर उनको अपने स्तर पर तनख्वाह भी दे रहे हैं।