ये है मामला
आरटीई एक्ट के तहत आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के बच्चों को आठवीं कक्षा तक निजी स्कूल की 25 फीसदी सीटों पर निशुल्क प्रवेश दिए जाने का प्रावधान है। पर राज्य सरकार ने पिछली दो बजट घोषणाओं में आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों में शिक्षण का दायरा बढ़ा दिया था। पिछले बजट में आरटीई एक्ट के तहत आठवीं तक पढ़ी छात्राओं व इस सत्र में छात्राओं व छात्रों दोनों की 12वीं तक की शिक्षा निशुल्क करने की घोषणा की गई। जिनकी पुनर्भरण राशि सरकार ने अपने स्तर पर निजी स्कूलों को देना तय किया। जिसके चलते प्रदेश के हजारों विद्यार्थियों ने कक्षा 9 की पढ़ाई भी निजी स्कूल में जारी रखी। पर आचार संहिता लगने तक बजट जारी नहीं होने पर उनकी पुनर्भरण राशि अधर में अटक गई है।
छात्राओं की दूसरी किश्त अटकी
सरकार की बजट घोषणा के अनुसार आरटीई एक्ट के तहत पिछले साल कक्षा 9 में प्रवेश पाने वाली छात्राओं की पुनर्भरण राशि की दूसरी किश्त भी अब तक स्कूलों को जारी नहीं हुई है। जबकि छात्राएं इस साल कक्षा 10 में पहुंच चुकी है। ऐसे में उनकी पढ़ाई को लेकर भी पसोपेश शुरू हो गया है।
अब योजना को लेकर संशय
मामले में अभिभावकों के मन में चिंता भी है। उनके मन में सवाल है कि चुनाव में यदि सत्ता परिवर्तन हुआ तो पुनर्भरण राशि के साथ कहीं 12वीं तक की निशुल्क शिक्षण योजना तो खटाई मेंं नहीं पड़ जाएगी? क्योंकि ऐसा हुआ तो उन्हें अपने स्तर पर बच्चों की फीस देनी होगी।
इनका कहना है:
पिछली बजट घोषणा के अनुसार कक्षा 9 में छात्राओं व इस सत्र में छात्रों को भी निशुल्क प्रवेश दिया गया है। पर दसवीं कक्षा में पहुंचने पर भी छात्राओं की पुनर्भरण राशि की दूसरी किश्त नहीं मिली है। छात्रों का तो भौतिक सत्यापन ही नहीं हुआ है। पुनर्भरण राशि को लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।
गोपाल मंडीवाल, धोद ब्लॉक अध्यक्ष, निजी शिक्षण संस्थान संघ।