दांतारामगढ़. दांता के नरसिंह मंदिर सहित दुधवा में गुरुवार को नरसिंह जयंती धूमधाम से मनाई गई। निकटवर्ती दुधवा गांव के पास गाबली धाम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गाबली बाबा का पाटोत्सव व नृसिंह अवतार जन्मोत्सव मनाया गया। रमाकांत पारीक ने बताया कि प्रत्येक वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि को भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नृसिंह अवतार लिया था। तब से इस दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिर को विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया गया और छप्पन प्रकार की भोग की झांकी सजाई गई। महाआरती के बाद बाबा को भोग लगाकर प्रसादी का वितरण किया। देर शाम तक गाबली धाम में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
भगवान नृसिंह की महाआरती की
टोडा. महावा के कुंडा धाम स्थित नृसिंह मंदिर में गुरुवार को दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने पंगत प्रसादी पाई। नृसिंह सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि बुधवार रात्रि को गायक कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुति दी। गुरुवार को भगवान नृसिंह की महाआरती इुइ। भगवान नृसिंह की मूर्ति के समक्ष दिनभर अखंड ज्योत जलती रही। भगवान नृसिंह को छप्पन भोग लगाया गया। ग्रामीण भी श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे रहे। भगवान नृसिंह का अलौलिक शृंगार किया गया।
खंडेला. कस्बे में स्थित नर्सिंग के नाम से प्रसिद्ध नरसिंह भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया। पुजारी बाबूलाल व श्यामसुंदर पारासर ने बताया कि बुधवार को मंदिर में अखंड रामायण के पाठ का समापन पूजा हवन कर किया गया। इसके बाद दोपहर में नरसिंह भगवान को चंदन का श्रंगार कर महाआरती के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। नरसिंह भगवान के दर्शनों व जात जड़ूला के लिए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब सहित अनेक जगहों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आए। महाआरती के बाद लोगों ने पंगत प्रसादी वितरित की गई। शाम को भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नवल पारासर, गुड्डू पारासर, अशोक चौधरी सहित कस्बे कई लोग उपस्थित रहे।
मूंडरू से श्री नृसिंह भगवान पधारे
नीमकाथाना. हसामपुर में इन दिनों पंच दिवसीय नृसिंह महोत्सव चल रहा है। अरविंद स्वामी व नीलकमल स्वामी ने बताया गुरुवार को श्रद्धालु नृसिंह शीला पहुंचे। वहां पूजा-अर्चना करने के बाद निशान लेकर प्रस्थान किया। निशान बस स्टैंड पर श्री चतुर्भुज मंदिर पहुंची। वहां विराजमान श्री नृसिंह भगवान का चेहरा, रासधारी सहित झांकी के रूप में बस स्टैंड से रवाना हुई । गाजे-बाजे से कलश यात्रा के साथ पूरे गांव में झांकी निकाली गई।