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बोर्ड परीक्षा में विज्ञान में मिले 43 नंबर, जब कॉपी मंगवाई तो खुशी के साथ हुआ गम

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणाम में एक लापरवाही सामने आई थी। उस समय जिस तरह की बोर्ड से गलतियां हो रही थी, उससे साख बिगड़ती ही जा रही थी।

सीकरSep 17, 2022 / 04:03 pm

Kamlesh Sharma

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फतेहपुर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणाम में एक लापरवाही सामने आई थी। उस समय जिस तरह की बोर्ड से गलतियां हो रही थी, उससे साख बिगड़ती ही जा रही थी। दरअसल फतेहपुर के नगरदास गांव की एक छात्रा से जुड़ा हुआ मामला सामने आया था। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी माध्यमिक परीक्षा परिणाम में छात्रा के 80 प्रतिशत अंक आए थे, लेकिन विज्ञान विषय में सिर्फ 43 अंक थे।
नतीजा यह रहा है कि सांइस लेने की इच्छा रखने वाली छात्रा को विज्ञान विषय में कम अंक आने पर आर्ट्स में दाखिला लेना पड़ा। आत्मविश्वास से लबरेज छात्रा ने जब आरटीआइ से कॉपी मंगवाने की ठानी तो बोर्ड के सिस्टम की पोल खुल गई। छात्रा रिजल्ट में जिस विज्ञान विषय में बोर्ड ने 43 नंबर दे रखे थे, उसी विषय में कॉपी में 94 नंबर दिए हुए थे। नतीजन बोर्ड की इस बड़ी गलती के कारण छात्रा का पूरा रेकॉर्ड खराब हो गया था।
प्रमोटेड कंटेंट
जानकारी के अनुसार नगरदास की बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल में पढऩे वाली छात्रा कविता कुमारी के दसवीं में परिणाम के समय 80.67 प्रतिशत अंक आए थे। जिसमे विज्ञान विषय में सिर्फ 43 अंक थे। जबकि छात्रा के बाकि विषय में 80 से ज्यादा अंक थे। कविता पढ़ाई में मेधावी थी, इसलिए विज्ञान संकाय लेना चाहती थी, लेकिन दसवीं कक्षा के विज्ञान विषय में 43 अंक होने के कारण सभी लोगों के दवाब के चलते उसे आर्ट्स विषय लेना पड़ा। कविता ने आरटीआई के माध्यम से अपनी उत्तरपुस्तिका मंगवाई थी। बोर्ड ने गुरुवार को कॉपी के साथ परिवर्तित परिणाम भी भेजा तब बोर्ड की गलती की पोल खुली। उत्तरपुस्तिका में कविता के विज्ञान विषय में 94 नंबर आए हुए थे, लेकिन रिजल्ट में सिर्फ 43 अंक ही अंकित थे। जबकि 51 अंकों की बढ़ोतरी होने पर कुल प्राप्तांक परसेंटेज 89.16 होती।
बोर्ड की गलती कितने बच्चों को करती होगी मायूस
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की इस तरह की लापरवाही ना जाने कितने बच्चों को मायूस करती होगी। हर वर्ष इस तरह के कई केस सामने आते हैं। इसके बाद भी बोर्ड की ओर से कोई सुधार नहीं होने के कारण कई विद्यार्थियों की जिदंगी बदल जाती है। कई छात्र व छात्रा हताश होकर दूसरे विषय लेने पर मजबूर हो जाए है, तो कई मानसिक तनाव झेलते हैं, हर वर्ष गड़बड़ी होने के बाद भी बोर्ड सुधार नहीं कर पा रहा है।
विज्ञान विषय में कम अंक के कारण छात्रा कविता ने कला संकाय में प्रवेश लिया था। दसवीं कक्षा के हर विषय में अच्छे अंक होने के कारण उन्हें अंदाजा नहीं था कि विज्ञान में इतने कम अंक आ सकते हैं। विज्ञान विषय में कम अंक होने के कारण माता-पिता और शिक्षकों ने कला संकाय लेने के लिए कहा जबकि छात्रा विज्ञान विषय लेना चाहती थी। आरटीआई के तहत जब कॉपी का आदेश दिया गया तो पूरी हकीकत सामने आ गई थी ।
-दिनेश पारीक
प्राचार्य नगरदास बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल

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