पहले सीकर जिले के बजरंग ताखर ने वर्ष 2010 के एशियन गेम्स में सिंगल स्पर्धा में पदक जीतकर पूरी दुनिया को चौका दिया था।
संदीप रेपस्वाल : ओलम्पिक 2012
इसके बाद झुंझुनूं जिले के संदीप रेपस्वाल ने वर्ष 2012 ओलम्पिक शानदार प्रदर्शन कर देश को पदक जिताया।
ओमप्रकाश : एशियन गेम्स 2018
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अब, एशियन गेम्स 2018 में झुंझुनूं के ओमप्रकाश ने क्वाटरपोल में स्वर्ण पदक जीताया है। बेहद रोचक बात यह है कि तीनों के गांव में आज भी पीने के पानी की समस्या है। ऐसे में इनके लिए नौकायन अंसभव खेल था, लेकिन खिलाडिय़ों ने अपनी मेहनत और जज्बे से खेल जगत की सोच को बदल कर रख दिया है। तीनों खिलाडिय़ों ने सेना में रहते हुए देश को यह सफलता दिलाई है।
कुण्डों में किया अभ्यास
नौकायन में देश को पदक दिलाने वाले खिलाडिय़ों को बचपन में तो नौकायन के बारे में बिल्कुल पता नहीं था। लेकिन घर पर खेती के कामकाज के दौरान कुण्डों में ही नौकायन का अभ्यास किया। खिलाडिय़ों का कहना है कि 20 वर्ष तो उन्हे इस खेल के बारे में ही पता नहीं था। सेना में जाने के बाद नौकायन में कॅरियर के बारे में पता लगा।
राजस्थान में शेखावाटी इसलिए बना सिरमौर
बजरंग के पदक जीतने के बाद नौकायन के कोच ने सीकर व झुंझुनूं के अलावा राजस्थान के खिलाडिय़ों को एकेडमी में खासी तरहीज दी। इसके बाद संदीप व ओमप्रकाश सहित अन्य खिलाड़ी सामने आए। अब खाटूश्यामजी इलाके के मगनपुरा गांव के मदनलाल ताखर ने भी 2015 की प्रतियोगिता में पदक जीतकर शेखावाटी का नाम रोशन किया है।
सेना से निकले तीनों खिलाड़ी
देश को नौकायन में पदक जीताने वाले खिलाड़ी सेना से निकले हैं। बजरंग लाल ताखर, संदीप व ओमप्रकाश तीनों का सेना से रिश्ता रहा है। सेना में जाने के बाद ही नौकायान में अभ्यास का मौका मिल सका। ताखर ने वर्ष 2008 से कॅरियर की शुरूआत की। 2010 में पदक जीतने के बाद चर्चा में आए।
ताखर की जीत से चर्चा में आया
सीकर जिले के मगनपुरा गांव निवासी बजरंग ताखर के पदक जीतने के बाद नौकायन खेल देश में काफी चर्चा में आया। उस समय तो सरकार ने नौकायन पर ध्यान रहा लेकिन बाद में सरकार के साथ लोग भी भूल गए। खिलाडिय़ों का कहना है कि नौकायन में अक्सर देश में प्रशिक्षण के लिए अच्छे केंद्रों का अभाव है। हैदराबाद, पुणे या भोपाल तक ही केंद्र सिमटे हैं।