अंचल को राज्य की राजधानी जयपुर से जोडऩे वाले रेलवे ट्रेक का निर्माण कार्य इन दिनों पूरे जोर-शोर से चल रहा है। इस ट्रेक पर ही रींगस से छोटा गुढ़ा रेलवे स्टेशन के बीच करीब 7.8 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस पुल के ऊपर से ट्रेन गुजरेगी। पुल का कार्य दिसम्बर 2016 में शुरू हुआ था। अब तक करीब 75 फीसदी कार्य पूरा हो चुका। इस कार्य को वर्ष 2019 के पहल माह तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
निर्माण कम्पनी के अधिकारियों ने बताया कि निर्माण कार्य में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, फिर भी जनवरी तक कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
7.8 किमी रेलवे ट्रेक में से 3.5 किमी के रेलवे ट्रेक का निर्माण कार्य पिल्लरों पर चल रहा है। इसके लिए 173 पिल्लर बनाए जा रहे हैं। 163 पिल्लरों का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। शेष पिल्लरों का निर्माण कार्य चल रहा है। फुलेरा-रेवाड़ी रेलवे ट्रेक से पूर्व दिशा में इस ब्रिज के 124 पिल्लर हैं जिन पर लेंटर डालने का कार्य भी शुरू हो गया है। पश्चिम दिशा के 49 पिल्लरों में शेष रहे पिल्लरों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
क्यों बना रहे पुल
दिल्ली से मुम्बई के बीच मालगाडियों के निर्बाध संचालन के लिए विशेष ट्रेक का निर्माण किया जा रहा है। इस दोहरे ट्रेक पर केवल मालगाडियां ही चलेंगी। इसके अलावा कोई ट्रेन इस पर नहीं चलेगी। इसे फ्रेट कॉरिडोर नाम दिया गया है। यह कोरिडोर रींगस से गुजरेगा। रींगस के पास एक जगह ऐसी आती है जहां जयपुर-सीकर ट्रेक पर चलने वाली ट्रेन को कॉरिडेकर वाले ट्रेक के ऊपर से गुजरना होगा। इस कारण मालगाडिय़ों के देरी होने की संभावना है। जहां ट्रेक के ऊपर से दूसरा टे्रक गुजरेगा उसकी जगह अब पुल बनाया जा रहा है।
फैक्ट फाइल
7.8 किमी पुल की है लंबाई
173 पिल्लर
143 करोड़ की लागत
2016 दिसंबर में शुरू हुआ कार्य
75 फीसदी कार्य वर्तमान में पूरा
2019 जनवरी कार्य होगा समाप्त
बजरी नहीं मिलने से देरी
प्रोजेक्ट समन्वयक हरसद पटेल ने बताया कि समय पर बजरी नहीं मिल पा रही है जिससे पिल्लरों के निर्माण की गती धीमी हो गई है। इससे पहले जीएसटी व लोहे के दामों में बढ़ोतरी के कारण भी बीच में काम रोकने की नौबत आ गई थी। फुलेरा-रेवाडी ट्रेक से पश्चिम दिशा की जमीन के अधिग्रहण में देरी होने के कारण निर्माण कार्य करीब 16 माह देरी से शुरू हो पाया।