लॉकडाउन में उत्पादन बंद होने से जहां आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़े हैं, वहीं हार्वेस्टर नहीं मिलने से किसानों ने मजदूरों से गेहूं की फसल की कटाई-गहाई कराई। इससे जिले सहित आसपास के जिलों में पर्याप्त मात्रा में भूसा निकला। इसका असर उसके दाम पर भी पड़ा है। पिछले साल भूसे के दाम ३५०-४०० रुपए प्रति मन था। इस साल दाम गिरकर १२०-१२५ रुपए पर पहुंच गया है।
किसानों ने किया चार माह का स्टॉक
जानकारी के अनुसार जिले में हर दिन करीब तीन से चार हजार क्विंटल भूसे की खपत होती है। इस साल आस-पास के जिलों और लोकल स्तर पर प्रचुर आवक होने से पशुपालकों ने चार माह का स्टॉक किया है। हालांकि शहर में हरे चारे की समस्या बरकरार है।
जानकारी के अनुसार जिले में हर दिन करीब तीन से चार हजार क्विंटल भूसे की खपत होती है। इस साल आस-पास के जिलों और लोकल स्तर पर प्रचुर आवक होने से पशुपालकों ने चार माह का स्टॉक किया है। हालांकि शहर में हरे चारे की समस्या बरकरार है।
नरवाई नहीं जलाने से भी बचा भूसा अधिकतर किसान हार्वेस्टर से कटाई के बाद नरवाई जला देते थे। लेकिन, इस बार संस्थाओं और कुछ गोशालाओं ने किसानों से सम्पर्क कर नरवाई निकालने के लिए कहा। इससे किसानों को न तो नरवाई जलाना पड़ा न ही कचरा साफ करना पड़ा। इससे भूसे का उत्पादन बढ़ा।
पिछले साल हुई थी समस्या
पिछले साल फसल खराब होने से भूसे का उत्पादन प्रभावित हुआ था। इससे भूसे के दाम ३५० से 400 रुपए प्रति मन तक पहुंच गए थे। नतीजतन पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए। इस बार भूसे की प्रचुरता से पशुपालकों को राहत मिली है।
पिछले साल फसल खराब होने से भूसे का उत्पादन प्रभावित हुआ था। इससे भूसे के दाम ३५० से 400 रुपए प्रति मन तक पहुंच गए थे। नतीजतन पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए। इस बार भूसे की प्रचुरता से पशुपालकों को राहत मिली है।
जबलपुर में यह है दाम
जबलपुर में अभी भूसा के दाम 120-1२५ रुपए प्रति मन है। जबकि लॉक डाउन के पहले 160-170 रुपए मन था। पिछले साल इन दिनों ३५० रुपए प्रति मन कीमत थी।
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जबलपुर में 30 हजार पशु-
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में ३० हजार पशु हैं। प्रतिदिन 2७00-3000 क्विंटल खपत होती है
हरे चारे का संकट बरकरार
जबलपुर में अभी भूसा के दाम 120-1२५ रुपए प्रति मन है। जबकि लॉक डाउन के पहले 160-170 रुपए मन था। पिछले साल इन दिनों ३५० रुपए प्रति मन कीमत थी।
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जबलपुर में 30 हजार पशु-
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में ३० हजार पशु हैं। प्रतिदिन 2७00-3000 क्विंटल खपत होती है
हरे चारे का संकट बरकरार
लॉकडाउन के कारण जंगल में उगने वाला हरा चारा बाजार में नहीं पहुंचा। गर्मी के कारण भी हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हुआ। सब्जी मंडी, श्रीनाथ की तलैया, फूल मंडी आदि में ग्रामीण हरा चारा बेचते हैं।
.– पर्याप्त आहार
पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ.एपी गौतम केअनुसार गोवंश के लिए जबलपुर सहित महाकौशल क्षेत्र में भी पर्याप्त आहार उपलब्ध है। लॉकडाउन में भूसा के परिवहन के साथ श्रमिकों को छूट मिलने से उत्पादन बढ़ा है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ.एपी गौतम केअनुसार गोवंश के लिए जबलपुर सहित महाकौशल क्षेत्र में भी पर्याप्त आहार उपलब्ध है। लॉकडाउन में भूसा के परिवहन के साथ श्रमिकों को छूट मिलने से उत्पादन बढ़ा है।
– मजदूरों से कराई कटाई किसान नरेन्द्र त्रिपाठी के अनुसार हार्वेस्टर नहीं मिलने से किसानों ने मजदूरों से गेहूं कटवाया। इससे नरवाई भी नहीं जलाना पड़ा। कुछ संस्थाओं ने भूसा मशीन से नरवाई निकलवाया है।