जानकारी के अनुसार जिले में हर दिन करीब तीन से चार हजार क्विंटल भूसे की खपत होती है। इस साल आस-पास के जिलों और लोकल स्तर पर प्रचुर आवक होने से पशुपालकों ने चार माह का स्टॉक किया है। हालांकि शहर में हरे चारे की समस्या बरकरार है।
पिछले साल फसल खराब होने से भूसे का उत्पादन प्रभावित हुआ था। इससे भूसे के दाम ३५० से 400 रुपए प्रति मन तक पहुंच गए थे। नतीजतन पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए। इस बार भूसे की प्रचुरता से पशुपालकों को राहत मिली है।
जबलपुर में अभी भूसा के दाम 120-1२५ रुपए प्रति मन है। जबकि लॉक डाउन के पहले 160-170 रुपए मन था। पिछले साल इन दिनों ३५० रुपए प्रति मन कीमत थी।
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जबलपुर में 30 हजार पशु-
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में ३० हजार पशु हैं। प्रतिदिन 2७00-3000 क्विंटल खपत होती है
हरे चारे का संकट बरकरार
पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ.एपी गौतम केअनुसार गोवंश के लिए जबलपुर सहित महाकौशल क्षेत्र में भी पर्याप्त आहार उपलब्ध है। लॉकडाउन में भूसा के परिवहन के साथ श्रमिकों को छूट मिलने से उत्पादन बढ़ा है।