नदी पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे, तेज बारिश होने पर नहीं पहुंचते स्कूल
विकास से कोसो दूर मड़वास अंचल के घोड़पड़ा एवं झपरी गांव, बीमार होने पर मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं को डोली खटोली से ले जाना बनी है ग्रामीणों की मजबूरी, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार मड़वास अंचल के आदिवासी बाहुल्य गांव
Children cross the river and go to school, do not reach school when th
मड़वास/सीधी। जिले के आदिवासी अंचल में कई गांव ऐसे हैं जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में स्कूल न होने से यहां के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा तक के लिए दूसरे गांव में जाना पड़ता है। वहीं नदी नालों में पुल न होने से गहरे स्कूल जाने के लिए नदी के गहरे पानी में उतरकर स्कूल जाने को नौनिहाल मजबूर हैंं। बारिश के मौसम में इन नौनिहालों को स्कूल जाने मेें खासी परेशानी होती है। वहीं गांव के किसी व्यक्ति के गंभीर बीमार होने पर व गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने के लिए डोली-खटोली के सहारे अस्पताल तक ले जाना पड़ता है।
कुछ ऐसा ही हाल जिले के मझौली विकासखंड के तहसील मड़वास अंतर्गत ग्राम पंचायत मझिगवां के ग्राम घोड़पड़ा एवं ग्राम पंचायत खजुरिया के ग्राम झपरी का है। उक्त ग्राम जिला मुख्यालय से करीब पचास किमी की दूरी पर स्थित हंै और ये गांव आदिवासी विभाग के अंतर्गत आते हैं। आदिवासी विकास विभाग इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं बहानें करोड़ों रूपए फूंक दिए हैं, लेकिन इन गावों की सूरत नहीं बदली। ग्रामीणों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान आरोप लगाया कि आजादी के ७ दसक बाद भी हम मूूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। समस्याओं से कई बार जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया लेकिन कोई हल नहीं निकला। ग्रामीणों के द्वारा बताया कि हमारे गांव के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए तीन से चार किमी तक कीचडय़ुक्त सड़क में पैदल चलकर बिना पुल के नदी पार करके मझिगवां जाना पड़ता है, वहीं कुछ बच्चे माध्यमिक व हायर शिक्षा के लिए मड़वास जाते हैं। कई बार छात्रों को बारिश के मौसम में नदी का जल स्तर बढऩें के कारण बाढ़ आने से बिना स्कूल गए ही वापस घर लौटना पड़ता है।
गर्वभती महिलाओं को प्रसव के लिए डोली-खटोली का लेना पडता है सहारा-
बताया गया कि आदिवासी महिलाओं के डिलेवरी के समय इस कीचड़ युक्त सड़क एवं नदी पार करना कितना जटिल होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्रामीणों के द्वारा आरोप लगाया गया कि ऐसी स्थिति मे लोगों के द्वारा लकड़ी की डोली खटोली बनाकर कीचडय़ुक्त सड़क व नदी पार करना पड़ता है। ग्रामीणों के द्वारा बताया गया कि ये गांव जंगल के किनारे स्थित हैं, इसके वजह से मौसमी बीमारियों का प्रकोप अत्यधिक रहता है, यहां तक कि जिनके यहां डोली खटोली से पहुंचाने से लोगों की कमी होती है। वो उपचार के लिए हास्पिटल तक नहीं पहुंच पाते और घुट-घुट के दम तोड़ देते हैं।
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर लगाया वादा खिलाफ ी का आरोप-
ग्रामीणों नें आरोप लगाया कि सांसद, विधायक, एवं जिला पंचायत अध्यक्ष से इस समस्या के बारे में अवगत कराया गया था एवं बीच-बीच में टेलीफ ोन एवं मिलकर कई बार अपील किया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। जनप्रतिनिधि वायदा तो करते हैं, लेकिन वायदा पूरा नहीं करते, जिसका नतीजा यह है कि आज भी आदिवासी अंचल के ये ग्राम मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
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