बदरवास में रोजाना निकाली जाने वाली रामधुन प्रभात फेरी का इतिहास 75 साल पुराना है और आज तक अनवरत रूप से जारी है। 75 साल पहले धर्म आस्था को लेकर शुरु की गई इस प्रभात फेरी से जुड़ने वाला हर सदस्य पूरी तन्मयता और उमंग के साथ इसमें शामिल होकर अपने आप को धन्य मानता है। तड़के प्रातः 3 बजे से इस प्रभात फेरी की हलचल और शुरुआत होती है। सभी धर्मप्रेमी लोग सुबह 3 बजे अस्पताल प्रांगण में स्थित मंदिर पर इकट्ठे होकर परंपरागत भारतीय वाद्ययंत्र ढोलक, मंजीरे, चमीटा, मंजीरा बजाते हुए भक्ति भाव में लीन होकर नगर के सभी मंदिरों पर पहुंचते हैं और हर मंदिर पर रुककर भजन स्तुति कर दीपदान करते हैं। 75 सालों से चली आ रही प्रभात फेरी की ये परंपरा आज भी जारी है।
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पूरे नगर में धर्म जागरण का काम करती है प्रभात फेरी
सुबह से शुरु होने वाली इस प्रभात फेरी में नगर के युवा, बाल, बुजुर्ग सभी शामिल रहते हैं और नगर में प्रभात फेरी के आने से पूर्व या आवाज सुनकर लोग जाग जाते हैं और अपने अपने घरों के आगे इसमें शामिल होकर अपने जीवन को राममय बनाने का काम करते हैं। युवा और बुजुर्ग संयुक्त रूप से रामधुन के संगीत पर भक्तिभाव में डूबे हुए नृत्य करते और झूमते हुए निकलते हैं। प्रभात फेरी नगर के सभी वार्डों, गली मोहल्ले बदरवास के मंदिरों पर जाकर कुछ समय विराम लेकर भजन कीर्तन और स्तुति से भगवान को मनाने का प्रयास करते हैं। प्रभात फेरी में आने वाले बुजुर्गों ने बताया कि हमने इसको निकलते ही देखा है और हमारा जुड़ाव बचपन से ही प्रभात फेरी से रहा है।
सर्दी, गर्मी और वर्षा में भी नही रुकी प्रभातफेरी
गत 75 वर्षों से बदरवास नगर में श्री राम की जयकारों से गुंजायमान होकर निकलने वाली इस प्रभात फेरी को कोई भी मौसम परिस्थिति नहीं रोक पाई। हर मौसम चाहे भयंकर गर्मी होनी ठिठुराती ठंड हो या भयंकर बारिश, लेकिन रामधुन की अलख जगा रही इस प्रभात फेरी का रास्ता कोई भी मौसम नहीं रोका पाया है। कई लोगों की तो तीसरी पीढ़ी भी इस प्रभात फेरी में शामिल है।
क्या कहते हैं बुजुर्ग
प्रभात फेरी के सबसे बुजुर्ग और संस्थापक सदस्यों में से एक नगर के 80 वर्षीय निवासी प्रीतम ग्वाल का कहना है कि जब से मैंने होश संभाला है, तब से मैं इस प्रभात फेरी का हिस्सा रहा हूं। ये बहुत पहले से चल रही है। जब यहां जंगल और वीरान क्षेत्र था, तब से मैं इस प्रभात फेरी मैं शामिल होकर अपने जन्म को रामनाम से धन्य कर रहा हूं। प्रभात फेरी में कई बार तो ऐसी स्थिति बनती थी कि हम एक दो लोग ही खड़े रह जाते थे, लेकिन प्रभात फेरी बंद नहीं हुई।
प्रभात फेरी के एक अन्य सदस्य रमेश बैरागी का कहना है कि अस्पताल मंदिर से शुरु होकर यहीं समापन होने वाली ये प्रभातफेरी को प्रारंभ हुए 75 वर्ष से अधिक समय हो चुका है। हम बचपन से ही इसे देख रहे हैं।