यह है पूरा मामला
हुआ कुछ यूं कि कलेक्टर श्योपुर संजय झा शहर से सटी ढेंगदा बस्ती के पास स्थित मोरडोंगरी नदी किनारे मंगलवार सुबह मार्निंग वाक कर रहे थे। तभी नदी के किनारे एक दूध वाला बाइक पर टंगी दूध की टंकियों में नदी का पानी मिला रहा था। कलेक्टर ने फोटो क्लिक कर लिए और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। कलेक्टर ने उसे रोक लिया और फिर उस पर सख्ती दिखाते हुए दूध में पानी न मिलाने की हिदायत भी दी। इस घटना से मिलावट खोरों में खासा हड़कंप मचा हुआ है कि अब दूसरा नंबर कहीं उनका न हो।
इस घटना के बाद आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि पानी की मिलावट ही करनी थी तो दूध वाले ने घर पर क्यों नहीं की? दूध वाले नदी या नाले का पानी ही क्यों मिलाते है? इसके पीछे का कारण भी बड़ा है। दरअसल दूध का कारोबार करने वाले लोगों का कहना है कि घर में नल, हैंडपंप या कुएं का पानी मिलाने से जांच के दौरान यह मिलावट पकड़ में आ जाती है। लेकिन जब बारिश का पानी नदी या नाले में आता है और उसे दूध में मिलाया जाता है तो इस पानी की मिलावट जांच में पकड़ में नहीं आती है। यही नहीं यह पानी मिलाए जाने के बाद भी दूध का फेट कम नहीं होता। इसलिए इस पानी की मिलावट पकड़ी ही नहीं जाती और दूध में मिलावट करने वाले पकड़े ही नहीं जाते।
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