बताया गया है कि पालपुर किले के जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्त्व विभाग की टीम ने मई-जून 2016 में स्टीमेट बनाकर प्रस्ताव तैयार किया था। बनाए गए स्टीमेट के मुताबिक किले के जीर्णोद्धार कार्य में 2 करोड़ 64 लाख रुपए खर्च होने का आंकलन किया गया, जिसमें किले को फिर से संवारने की रूपरेखा बनाई। इसमें किले के मुख्य परकोटे, मुख्य गेट, राजा महल, रानी महल और कचहरी महल को संवारने का प्रस्ताव थ। हालांकि इसके बाद पुरातत्त्व विभाग ने किले के जीर्णोद्धार के इस प्रस्ताव को शासन को भी भेजा, लेकिन उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में चला गया और अफसर भी भूल गए।
ढाई सौ साल पुराना है किला
जंगल में कूनो नदी किनारे स्थापित किले का निर्माण लगभग ढाई सौ साल पूर्व हुआ था। कूनो अभयारण्य की स्थापना होने के बाद ये अभयारण्य क्षेत्र में आ गया, लेकिन समय के साथ किला खंडहर होता गया। बताया गया है कि अप्रेल 2016 में श्योपुर आए प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव एंटोनि डिसा पालपुर रेस्टहाउट में ठहरे तो उन्होंने किले का जीर्णोद्धार कराने के निर्देश दिए। यही वजह है कि कूनो प्रबंधन ने पुरातत्त्व विभाग के माध्यम से ये स्टीमेट बनवाया है, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई है।
…तो वाइल्ड लाइफ के साथ होगा हैरीटेज दर्शन
श्येापुर को देश के पर्यटन नक्शे पर स्थापित कर रहे कूनो नेशलन पार्क यूं तो एशियाटिक शेरों के दूसरे घर के रूप में आरक्षित है, लेकिन यहां अन्य वन्यजीवों की भी भरमार है। यही वजह है कि कूनो वन्यजीव प्रेमी पर्यटकों को लगातार आकर्षित कर रहा है। ऐसे में यदि किले को संरक्षित कर पर्यटकों के लिए खोला जाता है तो पर्यटक यहां वाइल्ड लाइफ के साथ ही हैरीटज पर्यटन का भी लुत्फ ले सकेंगे।
हमने तत्समय से ही किले के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज दिया था, लेकिन इस संबंध में हमें कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं।
एसआर वर्मा, उपसंचालक, पुरातत्त्व विभाग ग्वालियर