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20 अप्रैल को शामली रेलवे स्टेशन मास्टर विक्रांत सरोहा के नाम साधारण डाक से एक धमकी भरा पत्र आया था। जैश-ए-मुहम्मद के एरिया कमांडर मैसूर अहमद के नाम आए इस धमकी भरे पत्र में शामली रेलवे स्टेशन समेत, बागपत, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद समेत कई प्रमुख स्टेशनों और धार्मिक स्थलों को 13 मई को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। वहीं, 16 मई को सीएम योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हत्या की धमकी दी गई थी।
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एक पत्र उत्तराखंड के रुड़की स्टेशन पर भी स्टेशन मास्टर के नाम से ही आया था। दोनों पत्र जैश-ए-मुहम्मद के एरिया कमांडर के नाम से ही आए थे। बाद में जांच में सामने आया था कि धमकी भरे दोनों कथित पत्र जालंधर के रेलवे पोस्ट ऑफिस पर साधारण डाक से भेजे गए थे। पत्र मिलने के बाद रुड़की और शामली जीआरपी ने जालंधर पहुंचकर सीसी टीवी कैमरे आदि भी चेक किए थे, लेकिन वहां 15 दिन से ज्यादा पुरानी फुटैज नहीं मिल सकी थी, जिसके चलते जीआरपी खाली हाथ वापसलौट गई थी। पुलिस का दावा है कि जीआरपी आरपीएफ लगातार स्टेशनों और ट्रेनों में चेकिंग कर रही है, लेकिन मौजूदा हालात में कोई चेकिंग नजर नहीं आ रही है। जीआरपी ने पुलिस बल नहीं होने का दुखड़ा रोया है।
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जीआरपी का कहना है कि शामली जीआरपी में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, सिपाही समेत 26 का स्टाफ है, जिसमें से 18 की ड्यूटी चुनाव में लगी है, जो एक माह से गए हुए हैं। सीओ जीआरपी सहारनपुर रामलखन मिश्रा ने बताया कि फोर्स चुनाव ड्यूटी में गया है। फिर भी जितना पुलिस बल है, उसी से स्टेशन और ट्रेनों में चेकिंग कराई जा रही है। पुलिस धमकी भरे पत्र को लेकर लगातार गंभीर है और जांच पड़ताल भी कर रही है।