दरअसल, थाना भवन क्षेत्र के गांव मसावी व कस्बा जलालाबाद में किसान बड़े पैमाने पर पत्ता गोभी की फसल की खेती करते हैं। कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण किसानों के सामने फसल बिक्री को लेकर भारी संकट खड़ा हो गया है। कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर के देश घुटने टेकने को मजबूर हो गए हैं। तो ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर है। वहीं भारत भी इससे अछूता नहीं है। लॉक डाउन के चलते जहां देश भर की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, उद्योग धंधे बंद हो गए हैं तो वहीं कृषि प्रधान देश कहे जाने वाला किसान बर्बादी की कगार पर है। लॉकडाउन के चलते किसानों को अपनी फसलों के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नही मिल रहा है। जिसके चलते दर्जनों से ज्यादा पत्ता गोभी की फसल उगाने वाले किसानों ने अपनी फसल को खुद ही ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों के पास जाकर उनसे फसलों के बारे में जानकारी ली और खुद भी उन्होंने ट्रैक्टर चलाकर फसलों को नष्ट किया।
थानाभवन क्षेत्र में ही लगभग 2000 बीघा से ज्यादा गोभी की फसल को किसानों ने ट्रैक्टर चलाकर खुद ही नष्ट किया है। उन्होंने इस दौरान बोलते हुए कहा कि देश में किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है और गोभी की फसल उगाने वाले किसान की गोभी किसी भी मंडी में नहीं जा रही। मांग ना होने के कारण किसानों को अपनी फसल नष्ट करनी पड़ रही है। गोभी की फसल उगाने वाला किसान हो या मूली की फसल उगाने वाला लौकी, भिंडी, खीरा आदि सब्जियां उगाने वाले किसान की सब्जियां मंडी में तो कौड़ी के भाव बिक रही हैं और बाजार में यह सब्जियां महंगी मिल रही है।