दरअसल आपको बता दें कि जनपद शामली के किसानों ने बीजेपी नेताओ का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया जिसके चलते शामली के गांव कसेरवा खुर्द और गांव पिंडारा के ग्रामीणों ने गांव में बीजेपी के किसी भी नेता के प्रवेश पर पूर्णतः पाबंदी लगा दी है। अब पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान एकजुट हो गया है। यह एकजुटता भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की आंखों में आंसू आने के बाद देखने को मिली है। 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के आंदोलन ने एक नया रूप ले लिया था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश और केंद्र दोनों सरकार हरकत में गई थी। वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन दे रहे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को सरकार ने प्रताड़ित करने का काम किया था जिसके बाद राकेश टिकैत ने आत्मदाह की चेतावनी भी दे डाली थी।
राकेश की आंखों में आसूं आने के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानो में उबाल की स्थिति पैदा हो गयी जिसके चलते अब जनपद शामली का किसान बीजेपी के खिलाफ हो गया है। अब यहां के लोग बीजेपी नेताओं का खुलकर विरोध करने लगे है। बीजेपी के खिलाफ जनपद शामली के गांव कसेरवा खुर्द और पिंडारा के ग्रामीणों ने बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर पाबंदी वाले पोस्टर चस्पा कर दिये है। अब देखना होगा कि बीजेपी सरकार के नुमाइंदे किस तरह से किसानों का विरोध झेलते हुए गांव में प्रवेश करते हैं क्योंकि गांव वालों ने पोस्टर पर साफ लिख दिया है कि जो भी बीजेपी का नेता गांव में आएगा उसके साथ जो भी होगा, उसका वह स्वयं जिम्मेदार होगा।